जिनका कोई कल्चर नहीं था, वह भारतीय संस्कृति को भाषा सिखा रहा है?

जिनका कोई कल्चर नहीं था, वह भारतीय संस्कृति को भाषा सिखा रहा है?
जिन्होंने कभी पारिवारिक मूल्यों को समझा ही नही। जो कबीले में रहते थे, अपनी बहनों, भतीजीयों, भांजीओं के साथ कई  निकाह करते थे। जिसके पास अपनी खुद की कोई संस्कृति, कोई भाषा, कोई कल्चर नहीं था। वह भारतीय संस्कृति को भाषा सिखाता है?
     उर्दू पोर्टल रेख्ता (Rekhta) का एक ट्वीट देखा और सोच में पड़ गया कि इस रेख्ता के कार्यक्रम में जावेद अख्तर से लेकर राहत इंदौरी, मुनव्वर हुसैन जैसे कितने लोग आते रहते हैं। बड़े-बड़े भाषण देते हैं और इसकी सोच देखिए! 
    इस्लाम धर्म का उदय हुए मात्र 1400 साल हुआ और इन 1400 सालों तक इनकी अपनी ना कोई सभ्यता थी, ना कोई संस्कृति थी, ना कोई लिपि थी, ना कोई आर्किटेक्चर था। यह रेगिस्तान में कबीलों में इधर से उधर घुमंतू जीवन जीते थे। इनका कोई अपना शहर भी नहीं होता था। 
      क्योंकि दुनिया की सभी सभ्यताएं नदी के किनारे पनपी। इसीलिए दूसरी सभी सभ्यताओं ने खेती करना, एक जगह स्थिर रह कर जीवन यापन करना, एक भाषा विकसित करना, एक संस्कृति विकसित करना, एक निर्माण या स्थापत्य कला विकसित करना इत्यादि सीख लिया। चूंकि अरब में कोई नदी नही है, इसलिए इस्लाम ने यह सब चीजें अपने उदय से हजारों सालों तक नहीं सीखा।  
    फिर धीरे-धीरे जब इन्होंने अरब से सटे सिंध पर हमला किया। वह हमलावर मोहम्मद बिन कासिम था। उसके बाद उन्होंने भारतीय इंजीनियरों और भारतीय स्थापत्य की मदद से अपनी एक स्थापत्य कला विकसित की। मोहम्मद बिन कासिम अपने साथ हजारों मजदूरों और कई इंजीनियरों को बंदी बनाकर बगदाद, मदीना और दमिश्क ले गया और वहां उनकी मदद से कुछ महल और मस्जिदें बनवाई। 
    चूंकि  कुरान में जिस जन्नत का जिक्र है, उस जन्नत का दरवाजे का वर्णन एक आर्क (Arch) की तरह किया गया है। इसलिए सभी इस्लामिक निर्माण कला में गेट, दरवाजे, खिड़की आदि में आर्क का प्रयोग जरूर किया जाता है। 
     इस्लाम की मूल अरब है और अरबी संस्कृति में और इस्लाम में इनके राजाओं का इतिहास देखेंगे तो कहीं भी बड़े बुजुर्गों की इज्जत करना नहीं है। हर कोई या तो अपने बाप को मार कर या जेल में डाल कर गद्दी पर कब्जा किया या अपने भाई को मारकर गद्दी पर कब्जा किया या फिर बाप ने बेटे को मारकर गद्दी कब्जा किया।  
आज भी तमाम इस्लामिक देशों में इसी नियम का पालन होता है 
    सऊदी अरब के किंग-80 के दशक में जब बर्सिलोना में इलाज कराने गए थे, तब उनके सगे बेटे ने उन्हें निर्वासित  घोषित करके सऊदी की राजगद्दी पर कब्जा कर लिया। पिछले तीन दशक में 8 बार सऊदी में सगे भाई के भतीजे भांजे, बहनोई आदि के  द्वारा तख्तापलट की कोशिश की गई। 
     पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के दोनों  बेटे शाहनवाज भुट्टो और मुर्तजा भुट्टो जिनका राजनीतिक कद काफी तेजी से बढ़ रहा था, और जो फिलिस्तीन मूवमेंट आंदोलन से काफी जुड़े हुए थे। इन दोनों ने दो सगी फिलिस्तीनी बहनों से निकाह किया था। लेकिन शाहनवाज भुट्टो की पत्नी रेहाना ने फ्रांस के नीस शहर में अपने ही पति शाहनवाज भुट्टो को जहर देकर मार दिया था। उसे फ्रांस सरकार द्वारा गिरफ्तार किया गया। क्योंकि वह अमेरिकन नागरिक थी, इसलिए उसे अमेरिका को सौंप दिया गया। जहां कुछ साल जेल में रहने के बाद उसे मानवीय आधार पर रिहा कर दिया गया। 
    बाद में मुर्तजा भुट्टो ने एक दूसरी फिलिस्तीनी लड़की गिनवा से निकाह किया और कुछ समय बाद मुर्तजा भुट्टो की भी हत्या हो गई। तब उनकी पत्नी गिनवा ने यह कहा था कि "मेरे पति की हत्या के पीछे उनकी सगी बहन बेनजीर भुट्टो का हाथ है। क्योंकि जिस तरह से उनका राजनीतिक कद बढ़ रहा था, उसे देखते हुए उन्होंने अपने भाई को रास्ते से हटा दिया।"  
   अब यह लोग कह रहे हैं, क्योंकि महाभारत के लेखक राही मासूम रजा थे। इसलिए उन्होंने इस्लामिक संस्कृति से अब्बाजान, भाईजान की तर्ज पर भ्राताश्री, पिताश्री, माताश्री जैसे शब्द विकसित किया। 
    वाह रे मूर्खों! जो भारतीय संस्कृति न जाने कितने करोड़ साल पुरानी है और जिसने इस विश्व को न जाने कितनी खोज और कितने आविष्कार दिए, न जाने कितने स्थापत्य और निर्माण कला दिए। तुम यह कह रहे हो कि उस संस्कृति के पास अपना कोई शब्द भंडार ही नहीं था?  
    और वह भी उन हमलावरों से, जिन्होंने कभी पारिवारिक मूल्यों को समझा ही नही। जो कबीले में रहते थे, अपनी बहनों, भतीजीयों, भांजीओं के साथ कई  निकाह करते थे। जिसके पास अपनी खुद की कोई संस्कृति, कोई भाषा, कोई कल्चर नहीं था। वह भारतीय संस्कृति को भाषा सिखाता है?

|| जितेंद्र प्रताप सिंह ||

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