बोफोर्स घोटाले की पूरी कहानी! भाग-02



( पिछले भाग-01 में (यहाँ क्लिक करे) आपने पढ़ा कि इन्द्रीरा गांधी के मौत के बाद चुनाव में राजीव गांधी ने रिकॉर्डतोड़ सीट के साथ सरकार बनाई, कांग्रेस के 100 वर्ष पूरे होने पर अपने भाषण में अपने ही नेताओ को खरी-खोटी सुनाई। जबाब में  कांग्रेस पार्टी के वर्किंग कमेटी के अध्यक्ष कमलापति त्रिपाठी ने राजीव गांधी को पत्र के माध्यम से सवाल पूछा। जिसके कारण प्रणव मुखर्जी को पार्टी से निकाल दिया गया, अरुण नेहरू को मन अनुसार मंत्रालय पद नही मिलने से नाराज थे, राजीव गांधी को अपने खिलाफ साजिश की आशंका से अरुण नेहरू से मंत्रालय पद छीन लिया..! अब आगे …)

विश्वनाथ प्रताप सिंह और राजीव गांधी के बीच तकरार
विश्वनाथ प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके थे। जिन्हें आगे बढ़ाने में संजय गांधी का बड़ा हाथ था। राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने भी वीपी सिंह को केंद्र में वित्तमंत्री बना दिया। बतौर वित्तमंत्री वीपी सिंह ने टैक्स चोरी करने वाली कंपनियों के खिलाफ अभियान चलाया। वित्तमंत्री के इस कार्य मे साथ दे रहे थे उनके दो करीबी अधिकारी राजस्व सचिव (Revenue Secretary) विनोद पांडे और प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate - ED) के प्रमुख भूरे लाल। दोनों अधिकारियों के पास टैक्स चोरों के खिलाफ कार्रवाई का सीधा निर्देश था।

पूर्व निर्देशक, प्रवर्तन निदेशालय भूरे लाल बताते हैं कि “प्रधानमंत्री राजीव गांधी एक स्वच्छ प्रशासन चाहते थे, उन्होंने वीपी सिंह साहब को वित्तमंत्री बनाया। मेरे को उत्तर प्रदेश से बुलाकर कहा कि आप डायरेक्टर इनफोर्समेन्ट का काम करें और काम इमानदारी से होगा। जो कर की चोरी कर रहे हैं और जो वित्तीय राष्ट्र के खिलाफ काम कर रहे हैं उन लोगों के खिलाफ एक्शन होगा।

विश्वनाथ प्रताप सिंह अपने कार्य से लोकप्रिय हो रहे थे। उनकी छवि एक इमानदार नेता की बनती जा रही थी। इस दौरान कस्टम रिवेन्यू 20% बढ़ा और एक्साइज रिवेन्यू 12%! लेकिन तभी राजीव गांधी ने बड़े बदलाव का मन बना लिया।

राजीव गांधी ने वीपी सिंह को मिलने के लिए बुलाया
राजीव गांधी ने वीपी सिंह से कहा कि “सीमा पर हालात ठीक नही है। मैं कहता हूँ कि रक्षा मंत्रालय आप जैसा कोई जिम्मेदार व्यक्ति संभाले!

वीपी सिंह ने कहा, “जैसा आप चाहे, आपने वित्त मंत्रालय संभालने के लिए कहा था और हम कर रहे है। लेकिन आप रक्षा मंत्रालय संभालने के लिए कहते है, तो वहाँ भी हम पूरी कोशिश करेंगे ..!

राजीव गांधी ने वीपी सिंह का मंत्रालय बदल दिया। यह उस समय हुआ जब वीपी सिंह 1987 का बजट तैयार कर रहे थे।

सवाल यह है कि -
वीपी सिंह को वित्तमंत्री से रक्षामंत्री क्यो बनाया गया?
क्या इसकी वजह देश की रक्षा की जरुरत थी जैसा कि राजीव गांधी ने भी वीपी सिंह को कहा था? या
 वीपी सिंह का कद बड़ा हो रहा था? या
इससे भी अलग राजीव गांधी के ऊपर बड़े कॉर्पोरेट घरानों का दबाव था, जिसके खिलाफ वीपी सिंह कदम उठा रहे थे ?

अजय सिंह (वीपी सिंह के बेटे) का कहना है कि “उस समय इनकम टैक्स विभाग की तरफ से जो रेड हो रहे थे, उससे कई कॉर्पोरेट हाउसेस नाराज थे। तो मुझे यह लगता है कि कॉर्पोरेट लोबिन्ग से श्री गांधी के ऊपर इसका प्रभाव पड़ा और उन्होंने वित्तमंत्रालय से हटाकर रक्षामंत्रालय में बदल दिया।

वरिष्ठ पत्रकार वीर संघवी बताते है कि “वीपी सिंह मांडा के राजा थे, लेकिन राजनीति में इलाहाबाद के राजा थे। जब अमिताभ बच्चन इलाहाबाद से चुनाव लड़े तो वीपी सिंह घबड़ा गए। और उन्हें लगने लगा कि राजीव गांधी अमिताभ का इस्तेमाल उनको निकालने के लिए कर रहे है। वीपी सिंह ने वित्तमंत्री बनने के बाद पहला काम किया, वो अमिताभ  और उनके भाई के खिलाफ जांच की शुरुआत थी। और इसी बीच बॉम्बे डाईंग और रिलायंस के बीच कॉर्पोरेट जंग छिड़ी थी। अमिताभ बच्चन और वीपी सिंह उस कॉर्पोरेट जंग में शामिल हो गए और राजीव गांधी को ये बात बताई गई कि ‘वीपी सिंह, अमिताभ बच्चन की जांच राजीव गांधी को फसाने के लिए करवा रहे है।

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साभार: “ABP NEWS” के कार्यक्रम “प्रधानमन्त्री
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