(पिछले भाग-02 में पढ़े है कि वीपी सिंह वित्त मंत्री बनते ही टैक्स चोरों के खिलाफ धड़ाधड़ कारवाही करते है। परिणामस्वरूप कस्टम-रेवन्यू 20% और एक्साइड रेवेन्यू 12% बढ़ा। लेकिन राजीव गांधी ने वीपी सिंह को रक्षा सम्बंधी हवाला देकर वित्तमंत्री से रक्षामंत्री बना दिया। जबकि वीपी सिंह 1987 का बजट तैयार कर रहे थे। वीपी सिंह और राजीव गांधी के सम्बंधो पर असर पड़ने शुरू हो जाते है। अब आगे …)
वीपी सिंह को रक्षामंत्री बना दिया गया
वीपी सिंह को रक्षामंत्री बना दिया गया, यही से वीपी सिंह और राजीव गांधी के बीच खाई बढ़ती गई। और यह बढ़ती हुई खाई ने हिंदुस्तान की राजनीति को एक दूसरी ओर धकेला।
६ फरवरी १९८७ को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निर्देशक भूरे लाल ने एक नोट राजस्व सचिव विनोद पांडेय को भेजा। इस नोट में जानकारी दी गई थी कि “भूरे लाल ने अमेरिकी यात्रा के दौरान फेयर फैक्ट्स को जासूसी का काम दिया है!”
फेयर फैक्ट्स अमेरिका की एक जासूसी एजेंसी थी। फेयर फैक्ट्स को टैक्स चोरी और विदेशी करेंसी का हेराफेरी करने वाली कंपनियों की जासूसी का काम करता था। फेयर फैक्ट्स जासूसी एजेंसी को उनके काम के मुताबिक पैसा दिया जाना था।
पूर्व निदेशक, प्रवर्तन निदेशालय, भूरे लाल बताते है कि “शासन ने खुद कहा था कि जो इस तरह के उलंघन को पकड़ेगा, उसे रिवॉर्ड दिया जाएगा। उस रिवॉर्ड के आधार के ऊपर यह फैसला हमारे और फेयर फैक्ट्स के बीच था कि वह मुझे ठीक उचित सूचना और प्रामाणिक दस्तावेज देंगे तो हमारे रिवॉर्ड स्किम के आधार पर जो रिवॉर्ड बनता है वो दिया जाएगा। इस बात की सूचना मैने तत्कालीन अपने प्रशासनिक विभाग को दे दी थी।”
फेयर फैक्ट्स को जासूसी के लिए लगाने की सलाह राजनीतिक विश्लेषक और कॉर्पोरेट जानकर “एस. गुरुमूर्ति” ने दी थी-
एस गुरुमूर्ति बताते है कि “अक्टूबर 1986, उस समय फेयर फैक्ट्स से हमारा संपर्क हुई थी। फेयर फसीयस उस समय प्रभावी इन्वेस्टीगेशन एजेंसी थी। हॉर्समैन जो उसका मालिक था, वो Watergate Scandal को investigate किया था। इसलिए मैंने उनसे बात किया। उनको ये कहा कि हम उनको कोई फीस नही देंगे, आप विदेश में जो भारतीय रुपया है, अगर सजे बारे में सूचना देते है तो जो पैसा हमे मिलता है, उसमे से 25% आप को देंगे। इसके बारे में वीपी सिंह से कोई बात नही हुई थी। पांडेय और भूरे लाल से बात हुई थी।”
नोट भेजने के कुछ दिन बाद ही भूरे लाल को निदेशक के पद से हटा दिया गया था। इसी दौरान बतौर रक्षामंत्री वीपी सिंह ने अपने पुराने मंत्रालय में एक नोट भेजा। और बताया कि “मैंने ही भूरेलाल को मौखिक आदेश पर फेयर फैक्ट्स को जासूसी के काम मे लागये था।”
यह बात मीडिया में लीक हो गई तो कंन्ग्रेसी नेता, वीपी सिंह पर आरोप लगाने लगे-
मिनिस्ट्री की बाते लीक हो गई, कहा जाने लगा कि सरकार को गिराने के लिए विदेशी एजेंसी फेयर फैक्ट्स को काम मे लागये गया है। वित्तमंत्री (वीपी सिंह) फेयर फैक्ट्स को जासूसी का काम देकर देश की आजादी को खतरे में डाल रहे है। ये निशाना कांग्रेस के नेता वीपी सिंह पर लगा रहे थे। 31 मार्च 1987 के दिन, कांग्रेस के नेताओ ने संसद में एक से बढ़कर एक सवाल उठाने लगे। साफ था कि फेयर फैक्ट्स को बहाना बनाकर वीपी सिंह को किनारे करने की कोशिश शुरू हो गई।
वीपी सिंह ने इसका जबाब ढूंढ लिया था। जबाब था जर्मनी की कंपनी “HWD” से पनडुब्बी खरीद का मसला!
पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह बताते है कि “हमारे टेबल में पनडुब्बी की फ़ाइल निकल आई, उसमे मालूम हुआ कि जर्मनी के अम्बेसडर ने तार दिया था कि भारतीय एजेंट 7% कमीशन ले रहे है। तो मैंने इंक्वायरी कराने लगा।”
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय मे HDW की पनडुब्बी को पहली बार खरीद गया था, राजीव गांधी के समय इसकी दूसरी बात सौदा हो रहा था। मंत्री-मंडल इसकी मंजूरी दे चुका था।
वीपी सिंह ने जांच करवाई, ये जानना चाहते थे कि “क्या पनडुब्बियों की कीमत कम हो सकती है?” पश्चिमी जर्मनी में भारत के अम्बेसडर ने टेलेक्स के जरिये संदेश भेजा कि “दाम कम नही हो सकते, क्योकि भारतीय दलाल को कमीशन की रकम दी जा चुकी है!”
तत्तकालीन रक्षामंत्री वीपी सिंह ने प्रधानमंत्री राजीव गांधी को बताया कि “हमे जानकारी मिली है कि जर्मनी के साथ पनडुब्बी शौड में HWD कीमत इसलिए कम नही कर रही है, क्योकि किसी एजेंट को 7% कमीशन दिया जाएगा, हमे इसपर विचार करना पड़ेगा।”
वरिष्ठ पत्रकार वीर संघवी बताते है कि “वीपी सिंह को वित्त मंत्रालय से रक्षामंत्रालय दिया गया जो अहम था। लेकिन वीपी सिंह समझ गए थे कि राजीव अब उनसे छुटकारा पाना चाहते है। ठीक इसी तरह राजीव इस नतीजे तक पहुच चुके थे कि वीपी सिंह उनके खुलाफ साजिश कर रहे है।”
वीपी सिंह, राजीव गांधी को चुनौती देने के लिए तैयार थे, फेयर फैक्ट्स मामले में घेरे जाने से पहले ही चक्रव्यूह तैयार कर लिया था। राजीव गांधी ने जबाब में फेयर फैक्ट्स मामले में जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की कमीशन बना दी।
वीपी सिंह, कमीशन के सामने पेश हुए, और अपना मास्टर स्ट्रोक चला
वीपी सिंह का मास्टर स्ट्रोक था “HWD सबमरीन पनडुब्बी”! 9 अप्रैल को प्रेस कांफ्रेंस बुलाया, और बिना कैबिनेट में चर्चा के ही HWD सबमरीन्स की खरीददारी के जांच के आदेश दे दिए।
राजीव गांधी ने वीपी सिंह को मिलने के लिए बुलाया
राजीव गांधी ने कहा कि “बिना मेरे सलाह के जांच के आदेश दे दिए है।”
वीपी सिंह- “जो टेलीग्राम मिला है उसपर तो जांच होना ही चाहिए।”
राजीव गांधी- “आपको कैसे मालूम कि वो टेलीग्राम सही है ?”
वीपी सिंह- “हम ये भी कैसे समझे कि ये गलत है? टेलीग्राम प्रॉपर चैनल से आया है, कोरियार्ड है, उस पर भाषा भी सही है, किसी भी तरह का विरोधाभास भी नही है। इन आधारों पर हमें कोई कारण नही दिखता की हम उसपर संदेह करे!”
राजीव गांधी- “आप के इस जांच का नतीजा क्या होगा?”
वीपी सिंह- “ये हम नही जानते कि क्या नतीजा होगा, लेकिन जांच जरूरी है, क्योकि नियमो का उलंघन हुआ है।”
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साभार: “ABP NEWS” के कार्यक्रम “प्रधानमन्त्री”
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