विदेश मंत्री एस.एम् कृष्णा का हिन्दुओ के जले पर नमक [ M S KRISHNA RUB THE SALT ON HINDU]



Written by एल.आर. गाँधी
आगे कुआ पीछे खाई! कुछ ऐसी स्थिति है पाक में अपना सब कुछ लुटा कर भारत में पनाह लेने आए हिन्दुओं की। हमारे विदेश मंत्री ने इन विस्थापित हिन्दुओं को स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें साबित करना होगा कि उन पर पाकिस्तान में कैसे कैसे अत्याचार हुए। उधर तालिबान-इधर सेकुलर शैतान!
इस्लामिक आतंक से सारी दुनिया वाकिफ है सिर्फ हमारे इन सेकुलर शैतानों के,  जो यह मानने तो ही तैयार नहीं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार होता है।
अंतर्राष्ट्रीय मिडिया और यहाँ तक कि पाक के मानवाधिकार स्वमसेवी संस्थान भी मानते हैं कि प्रतिमाह दर्ज़नों हिन्दू लड़कियों को अगवा कर बलात्कार किया जाता है और फिर जबरन उन्हें मुस्लिम युवक से निकाह के लिए मजबूर किया जाता है।
ऐसे हालात में अपना सब कुछ छोड़ कर जो हिन्दू परिवार अपनी बहु बेटियों की इज़त-अबरू बचाने के लिए भारत पलायन को मजबूर होते हैं उनसे हमारे विदेश मंत्री श्री एस.एम् कृष्णा जी अभी सबूत मांगते हैं कि कैसे उनके साथ ज्यादती हुई।
ये तो ऐसे ही हुआ कि विदेश मंत्रीजी की अपनी लड़की को कोई अगवा कर बलात्कार करे और फिर इस्लाम कबूल करवाकर निकाह कर ले ।।और जब हमारे मंत्री महोदय लूटे पिटे अपनी दरयाफ्त करें तो उनसे पूछा जाए कि आपके पास क्या सबूत है कि यह सब हुआ।
पाकिस्तान में हिन्दू बच्चों को स्कूलों में दाखिला नहीं मिलता, उन्हें स्कूल में नमाज़ पढने को बाध्य किया जाता है और उनके सहपाठी उन्हें 'काफ़िर कुत्ता' कह कर ज़लील करते हैं। हिन्दुओं को ज़बरन इस्लाम कबूल करने को मजबूर किया जाता है, हिन्दू लड़कियों को अगवा कर बलात्कार किया जाता है। हिन्दू- सिखों से इस्लामिक कर 'जाजिया' वसूल किया जाता है
फैक्टरियों  में हिन्दू कामगारों को पीट पीट कर मार दिया जाता है । इस्लामिक सत्ता  को मज़बूत करने की खातिर ८०% हिन्दू काफिरों की ज़मीन छिनी जा चुकी है। यही कारन है कि हिन्दुओं की जनसँख्या जो १९४७ में २०% से अधिक थी १९९१ में घट कर मात्र १.६ % रह गई।
फिर भी हमारे सेकुलर शैतान इन सभी तथ्यों से आँखें  मूंदे हर साल वाघा सीमा पर हिंद-पाक दोस्ती की मोमबत्तिया जला कर 'उन शैतानों से बगलगीर होते हैं।
पिछले दिनों २५० पाक हिन्दू 'तीर्थ यात्रा के बहाने किसी प्रकार वीजा ले कर इधर आए तो एक परिवार ने पाक में हुए अत्याचारों की व्यथा गाथा ब्यान की  कि किस प्रकार उनके परिवार के एक पुरुष सदस्य जो पिछले २० साल से एक मुसलमान जागीरदार के यहाँ ड्राईवर का काम करता था, ने जब अपने मालिक से तनख्वाह की मांग की तो उसे जंजीरों से बांध कर इतना पीटा गया कि उसकी मौत हो गई।
मजबूरन सारा परिवार मृतक की विधवा और पुत्र पुत्रिओं सहित उनके छोटे भाई के साथ भारत आ गया। भाई ने अपने मोबाईल में मृतक की जंजीरों में ज़कड़ी तस्वीर भी दिखाई। सेकुलर मिडिया को छोड़ कुछ हिंदी समाचार पत्रों ने इस स्टोरी को मृतक की तस्वीर सहित  प्रकाशित भी किया।
मगर हमारे प्रधान मंत्री या विदेश मंत्री ने कोई प्रतिक्रिया देना शायद मुनासिब नहीं समझा। कही पडोसी से दोस्ताना रिश्तों में खटास न आ जाए?  यही वाकया किसी मुसलमान के साथ हुआ होता, यही प्रधान मंत्री ऐनक उतार उतार कर आंसू पोंछते! विदेश मंत्री सभी दौरे मुल्तवी कर प्रेस में जोरदार भर्त्सना करते।  और हाँ हमारे महान सेकुलर मिडिया के महारथी ' राजदीप सरदेसाई' तो अपने चेनल पर पूरे तेरह दिन तक 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों ' पर देश भर के सेकुलर शैतानों का 'मजमा' लगाते और देश को बताते कि किस प्रकार 'भगवा आतंक इस्लामिक आतंक से ज्यादा खतरनाक है।   
पाक की ही एक सरकारी संस्था के आंकड़ों से पाक में अल्पसंख्यकों की मौजूदा स्थिति का भली भांति पता चलता है। पाक में विभिन धार्मिक समुदायों  पर, नेशनल डाटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथारटी के सर्वे में यह दिखाने की कोशिश की गई कि यह अवधारणा गलत है कि पाकिस्तान केवल एक इस्लामिक देश है।
रिपोर्ट के अनुसार पाक में आज भी २।९ मिलियन व्यसक सात विभिन्न समुदायों से  हैं, जिनका मज़हब इस्लाम से अलग है। इनमें १.०४  मिलियन हिन्दू,१.२७ मिलियन क्रिश्चन, १२५६८१ अह्मदिस, ३३००० बहावी, ६१४६ सिख ४००० पारसी व् १५०० बुध।  पाक को सेकुलर और बहु-समुदय्वादी देश सिद्ध करने का क्या नायाब तरीका है।
पाक कि १९४७ में ३.५ करोड़ जनसँख्या थी, जो आज १८ करोड़ हो गई है। यदि कुल जनसँख्या के अनुपात से अल्पसंख्यकों की संख्या को आँका जाए तो २५% के हिसाब से आज लगभग ४ करोड़ से अधिक अल्पसंख्यक होने चाहिए और हिन्दुओं की संख्या ३.५ करोड़। मगर पाक सेन्सस के अनुसार हिन्दू मात्र ३० लाख रह गए हैं।
पिछले ६५ साल में पाकिस्तान का इस्लामिक आतंक ३.५ करोड़ हिन्दुओं को लील गया, अभी हमारे विदेश मंत्री जी को पाक छोड़ कर आ रहे हिन्दुओं से उन पर हो रहे अत्याचारों का हिसाब चाहिए।  हिसाब तो चाहिए ही वर्ना इनके वोट बैंक का हिसाब जो गडबडा जायेगा?

Source : http://goo.gl/jcMsN
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