ब्रिटेन में चर्च ने लगाई योग पर पाबंदी [Church ban on yoga in Britain]



योग के शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक फायदों से पूरी दुनिया लाभान्वित हो रही  है I पतंजलि प्रणित योग क़ी विधाएं किसी जाति,धर्म एवं पंथ को ध्यान में रखकर नहीं रची गयी थी I "योगः कर्मशुकौशलम " अर्थात कर्मों में निपुणता गीता का कर्म योग क्या किसी भी धर्म के लिए अलग  हो सकता है ! ईश्वर से स्वयं को जोड़ना,एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति से जुड़ने क़ी अध्यात्मिक चेतना क्या किसी भी धर्म के लिए सैद्धांतिक रूप से अलग   हो सकती है !  फ़िर क्यूँ योग को एक धर्म विशेष से जोड़कर देखा जाता है ? जब हमारे देश में ही  योग करने वालों  के धर्मनिरपेक्ष  होने पर संदेह किया जाता है, तो ब्रिटेन क्यूँ पीछे रहता ? हाल ही में साउथहेम्पटन के  एक ब्रिटिश पादरी फादर जॉन चांडलर  ने अपने केथोलिक अनुयायियों के योग करने पर पाबंदी केवल  यह कहते हुए लगा दी क़ि यह हिन्दू स्प्रिचुअल एक्सरसाइज है I 

संत एडमंड नामक चर्च में  हाल में योग क़ी कक्षाओं को लगाने से मना कर वहाँ अब केवल केथोलिक कार्यक्रमों  क़ी इजाजत दी गयी है I हालाकि चर्च में योग को बैन करने का निर्णय  पादरी  का है और इसे कैथोलिक चर्च क़ी पालिसी नहीं माना जा रहा है ...लेकिन उनका स्पष्ट रूप से मानना है क़ि योग हिन्दू धर्म से जुड़ा है और इसे कैथोलिक चर्च में प्रेक्टिस करने क़ी अनुमति कतई नहीं दी जा सकती I  

बड़ा सवाल यह है क़ि "अमेरिका और अन्य देशों में चल रहे योगा स्टूडियो क्या केवल  हिन्दू धर्म का प्रचार कर रहे हैं या मौज मस्ती के साधन मात्र हैं ? "


Source: http://goo.gl/jxqax
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