राधिका वेमुला, मृत पुत्र रोहित वेमुला के फोटो के साथ |
“माँ” एक ऐसा शब्द, जिसे सुनकर भगवान भी सोच में पड़ जाता है! सृष्टि का सबसे पवित्र रिश्ता माँ का है! जिसमें न स्वार्थ है और न ही कलुषता। है तो केवल और केवल निस्वार्थ प्रेम! माँ के सामने आते ही आदर से हम दंडवत हो जाते हैं! हम सभी को लगता है कि औरत हर रिश्ते में स्वार्थी हो सकती है, मगर माँ के रूप में नहीं। माँ को ही चारों धाम हमारे शास्त्रों में कहा गया है।
इतना पवित्र रिश्ता है माँ का, कि आज तक लक्ष्मण को दशरथ पुत्र के रूप में नहीं बल्कि सुमित्रानंदन के रूप में जाना जाता है। माँ अपना सर्वस्व न्योछावर करके भी अपने बच्चे की जान बचाती है, उसका सौदा नहीं करती! माँ के आंसुओं पर लोग पिघल जाते हैं। ऐसी ही एक माँ है राधिका वेमुला, जिनके आंसुओं ने न केवल पूरे भारत बल्कि विश्व के सामने भारत की एक ऐसी छवि प्रस्तुत की जिसका वास्तविकता से दूर दूर तक लेना देना नहीं था। राधिका वेमुला के आंसू आज ‘इन्डियन युनियन मुसलिम लीग’ की वादा खिलाफी के लिए हैं। मगर प्रश्न यह उठता है कि रोहित वेमुला की माँ के साथ मुसलिम लीग ने क्या वादा खिलाफी की? और किस बात का वादा किया गया था?
रोहित वेमुला हैदराबाद विश्वविद्यालय में पीएचडी का छात्र और अम्बेडकर स्टूडेंट फेडरेशन के कार्यकर्ता थे। 2016 में निजी कारणों से रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली थी। उनकी आत्महत्या की वजह से देश की सियासत गरमा उठी थी और सड़क से लेकर संसद तक व्यापक विरोध प्रदर्शन आयोजित किये गए थे। रोहित वेमुला की आत्महत्या को राजनैतिक रंग दिया गया। केंद्र सरकार और भाजपा को दलित विरोधी साबित करने के लिए इस दुखद आत्महत्या का इस्तेमाल किया गया।
हालांकि रोहित वेमुला और उनकी माँ दोनो दलित समुदाय से नही आते थे, जिसकी पुष्टि वहाँ के जिला प्रशासन ने की थी। लेकिन धूर्त राजनैतिक दलों ने उन्हें दलित बता कर राजनैतिक माइलेज लेने की भरपूर कोशिश की। कल हुए एक सनसनीखेज खुलासे में इन्ही राजनैतिक दलों पर रोहित वेमुला की माँ ने सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें बीजेपी और पीएम मोदी के खिलाफ बोलने के लिये बोलने के लिए 25 लाख रुपये का ऑफर दिया गया था।
Radhika Vemula M/o Rohit Vemula has revealed that Muslim League promised her to give ₹20 Lakh to speak against Modi across nation but gave only ₹2 Lakh cheque but it was bounced. It was planted movement.— Prashant Patel Umrao (@ippatel) June 18, 2018
रोहित वेमुला, वह युवक जिसने फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी। किसी के भी जीवन में अपने युवा बेटे का निर्जीव शरीर देखना बहुत ही त्रासद और यातना पूर्ण होता है। मगर इन यातना के क्षणों में कोई आपसे आकर यह कहे कि आप हमारे साथ यहाँ चलिए, उस मंच पर चलिए, हम आपकी त्रासदी का आपको पूरा मूल्य देंगे, तो आप क्या करेंगे? क्या हम वही करेंगे जो राधिका वेमुला ने किया? उन्होंने अपनी ही सन्तान की निर्जीव देह के बदले में किस प्रकार कुछ लाख रूपए का सौदा कर लिया?
महाराष्ट्र में पिछले साल हुई भीमा-कोरेगांव हिंसा की यादें अभी तक ताज़ा हैं, और उसी मंच पर राधिका भी विराजमान थीं। कई प्रश्न हैं, कि यदि आज वे इंडियन युनियन मुसलिम लीग पर यह आरोप लगा रही हैं कि उनके साथ वादा खिलाफी हुई, उन्हें वे 20 लाख रूपए नहीं मिले, जो मिलने चाहिए थे। तो यह तो साफ़ करना ही होगा कि ये 20 लाख उन्हें आखिर मिलने किस लिए थे?
राधिका वेमुला के अनुसार ‘मुसलिम लीग’ के नेताओं ने राधिका वेमुला से वादा किया था कि वह उनके परिवार को नया घर बनाने के लिए बीस लाख रूपए देंगे। यह वादा तब किया गया था जब ‘मुसलिम स्टूडेंट्स फेडरेशन’ और ‘अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन’ के प्रतिनिधि उनसे मिलने आए थे। गौरतलब है कि रोहित भी आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन का ही सदस्य था। राधिका वेमुला के अनुसार उनके लिए बड़े मकान का वादा जैसे कोई सपने के सच होने जैसा था!
नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलने के लिए 20 लाख का ऑफर
रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने रोहित की मां राधिका वेमुला को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलने के लिए 20 लाख रुपए ऑफर दिया था। राधिका ने कहा कि “रोहित की खुदकुशी के बाद लीग के कई नेता उनसे मिलने आए जिनमें से अधिकांश को वह पहचानती तक नहीं थीं। उन लोगो ने उन्हें बीजेपी और पीएम मोदी के खिलाफ बोलने के लिए 20 लाख रुपये देने का वायदा किया था।” राधिका वेमुला के अनुसार, उनसे यह वादा उस समय किया गया जब लीग के नेता के साथ-साथ आंबेडकर स्टूडेंट फेडरेशन के कार्यकर्ता भी उनसे मिलने आते थे।
पैसे के नाम पर फोटो खिंचवा कर बोगस चेक पकड़ाया
राधिका ने मीडिया के सामने दावा किया, “सुबैर उनका भाषण खत्म होते ही डायस से तुरंत नीचे उतर गया और उनके दो बार आवाज देने के बाद भी पलटकर नहीं आया। बाद में उसके साथियों ने हमें भरोसा दिलवाया कि वह मुझे एयरपोर्ट पर मिलने के लिए आएगा। हम उसका इंतजार ही करते रह गए लेकिन वह नहीं आया।”
राधिका कहती हैं, “एक बार इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के कई नेता केरल से उनसे मिलने उनके घर आए और एक बड़े चेक के साथ फोटो खिंचवाई। उस चेक पर बड़े-बड़े अक्षरों में 25 लाख रुपये लिखा था लेकिन वह चेक बाउंस हो गया। राधिका वेमुला ने कहा कि बेटे कि मौत के बाद वह टूट चुकी थी लेकिन तभी वह इन मुस्लिम लीग वालों के लालच में आ गई तथा भाजपा व उनकी सरकार के खिलाफ इनके कहने पर राजनैतिक बयान देने लगी लेकिन उन्हें पैसे तो मिले नहीं बल्कि उनकी छवि सरकार विरोधी भी बन गई है।”
ये घटनाएं दो चीजों को उजागर करती हैं
★ पहला यह है कि राजनीतिक दलों ने राधिका वेमुला और उनके मृत पुत्र के नाम का इस्तेमाल राजनीतिक क्षेत्र में प्रासंगिकता हासिल करने के लिए किया है। यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पीड़ितों के परिवारों को सरकार के खिलाफ प्रोपोगंडा फैलाने के लिए झूठे वादे और लालच देकर गुमराह किया जाता हैं।
★ दूसरी बात, राधिका वेमुला ने अपने बयान में एक बार भी यह नही कहा कहा था कि वह समाज के भले के लिए पार्टी के साथ खड़ी थी। वह केवल पैसे के लिए सरकार के विरुद्ध मंचो से बोल रही थी। सवाल यह उठता हैं कि क्या यह उचित हैं की एक मां पैसे और घर के लिए अपने बेटे की मृत्यु का इस्तेमाल करे?
माँ की ममता उतनी सस्ती ?
अब यहाँ पर फिर एक एक प्रश्न है कि आखिर ‘मुसलिम’ लीग की इतनी दिलचस्पी राधिका वेमुला को घर दिलाने में थी या फिर रोहित वेमुला के नाम का दोहन करने में? क्या किसी भी माँ की ममता इतनी सस्ती हो सकती है कि वह अपने बच्चे के नाम इस्तेमाल किसी को भी करने दे? या फिर बड़े लोगों में उठने बैठने का इतना नशा राधिका वेमुला को हो गया था कि उनके लिए यह बिलकुल भी यह अहसास नहीं हो रहा था कि उनके बेटे का नाम कोई भी अपने अनुसार इस्तेमाल कर सकता था? क्या उनके लिए उनके मरे हुए बेटे का इतना ही मोल था? ये कई प्रश्न है, मगर सबसे बड़ा प्रश्न अब यह उठता है कि उन्होंने मुंह इसलिए खोला कि इंडियन युनियन मुसलिम लीग ने उन्हें पैसे नहीं दिए?
यदि उन्हें घर और पैसे मिल गए होते या यदि कोई कल उन्हें तीस लाख रूपए का ऑफर देगा तो वे रोहित का नाम उसे इस्तेमाल करने देंगी? और उन्होंने इस बीस लाख रूपए के लालच में यह भी नहीं सोचा कि जो लोग रोहित का नाम इस्तेमाल कर रहे हैं, उनका वास्तविक मंतव्य क्या है? अब तक इस मामले में देश की वैश्विक स्तर पर इतनी बदनामी होने के बाद, क्या लाखो लोग इस बात के आधार पर खुद को छला हुआ महसूस नहीं करेंगे कि आपको कुछ लाख रूपए का ऑफर दिया गया था?
देश के साथ हुए धोखे पर आपके आंसू क्यों नहीं निकले?
अफ़सोस होता है कि आज माँ भी अपने मरे हुए बेटे का नाम इस्तेमाल करने के लिए एकदम तैयार बैठी है। आपके आँसू इस धोखे में निकल रहे हैं कि आपका मकान बनने की इच्छा पूरी नहीं हुई? देश के साथ हुए धोखे पर आपके आंसू क्यों नहीं निकले? आप धोखे के बदले में धोखा ही खाएंगी, यह तो कर्म है। आज आप उन बीस लाख रूपए के लिए रो रही हैं, जो घर के लिए आपको मुसलिम लीग ने देने थे, और दिए नहीं! काश कभी आप उस धोखे के लिए भी रोएँ, जो आपने पूरे देश को दिया है! काश कभी आप उस धोखे के लिए भी रोएँ जो एक माँ के रूप में आपने सबको दिया है! आज आपके आंसू एक माँ के आंसू नहीं बल्कि एक ऐसी स्त्री के आंसू दिख रहे हैं, जिसने अपने बेटे के नाम का सौदा किया और पूरे देश और समाज का नाम बदनाम करने वालों के हाथों में अपने बेटे का नाम सौंप दिया। आज आपके आंसू किसी भी तरह की सहानुभूति पैदा नहीं कर रहे हैं।
कई बार प्रश्न मेरे मन में उठता था कि कैसे कोई माँ अपने बेटे का नाम उन गिद्धों के हवाले कर सकती है, जो देश को नोचकर खाने के लिए तैयार बैठे हैं, कल आपके आंसू पढकर पता चला कि उन गिद्धों के भोज के लिए आपने महज़ एक मकान के बदले अपने बेटे का नाम उन्हें सौंप दिया था। एक माँ के रूप में क्या कहा जाए आपको!