Rahul Gandhi |
महिलाओं से हिंसा और रेप के मामले में भारत अफगानिस्तान, सीरिया और सऊदी अरब से भी आगे है. यह बयान किसी भी समझदार इंसान के लिए बेतुका हो सकता है। हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को लगता है कि यह सच है।
शायद उनके पास अपने कारण हों, वो जो भी बयान देते हैं, वो तथ्यों और रिसर्च पर आधारित होते होंगे। लेकिन क्या वाकई वो ऐसा करते हैं? वो उस शिकायत के बारे में यकीनन जानते होंगे, जो कांग्रेस पार्टी के छात्र संघ एनएसयूआई की एक महिला सदस्य ने की थी। उस महिला सदस्य ने एनएसयूआई के अध्यक्ष के खिलाफ पार्टी में पद के लिए सेक्सुअल फेवर मांगने का आरोप लगाया था और इसके खिलाफ आवाज उठाई थी?
आमतौर पर ट्विटर पर ही खुश रहने वाले कांग्रेस अध्यक्ष ने इस घटना के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा। क्या इसकी वजह यह थी कि पार्टी में किसी महिला का अपमान बहुत आम बात है? उन्हें नहीं लगता कि ऐसी घटना स्वीकार करने लायक नहीं हो सकती?
राहुल बहुत सी कुख्यात घटनाओं को देखते हुए बड़े हुए है। इनमें तंदूर कांड शामिल है, जिसका ताल्लुक युवा कांग्रेस अध्यक्ष से था। शायद इसलिए उन्हें लगता है कि भारत कांग्रेस पार्टी जैसा है। लेकिन शुक्र है कि भारत देश कांग्रेस पार्टी नहीं है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने ट्विटर हैंडल से झूठ फैलाने की आदत बना ली है। 26 जून को उन्होंने एक रिपोर्ट को ट्वीट किया, इसके मुताबिक महिलाओं के लिए भारत सबसे खतरनाक देश है। इस पोल में 2018 में महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देश चुने गए, यह पोल और रिपोर्ट थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने की है।
जब कोई मेरे देश के बारे में दावा करता है, खासतौर पर इसे नीचा दिखाने वाला, तो मेरी स्वाभाविक प्रक्रिया बेहद चिंतित होने की होती है। इस दावे की सच्चाई का पता लगाना शुरू किया जाता है। साफ है कि श्री गांधी को इस बात का कोई मलाल नहीं होगा कि सौ करोड़ भारतीयों को उन्होंने महिलाओं से व्यवहार के मामले में दुनिया के सबसे खराब लोगों में शुमार कर दिया।
उन्होंने सोचने की भी जरूरत नहीं समझी कि पोल का तरीका क्या है, जिससे भारत को महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश करार दे दिया गया। उन्होंने बारीकी से इसकी जांच करना जरूरी नहीं समझा। वो जोर-शोर से अफवाहें फैलाते हैं। सोशल मीडिया पर उनकी इस हरकत को दुनिया देख सकती है और उस पर फैसला कर सकती है।
पोल के तरीके को लेकर शुरुआत में ही लिखा गया है। मोटे तौर पर इसके मुताबिक, ‘द थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन” थॉमसन रॉयटर्स का हिस्सा है, जो दुनिया में समाचार इकट्ठा करने और पहुंचाने के मामले में सबसे आगे है। महिलाओं के मामले में विशेषज्ञों की मदद ग्लोबल परसेप्शन पोल किया गया है, जिससे महिलाओं के लिए खतरनाक देशों का नाम सामने लाया जा सके।’
उसमें आगे लिखा गया है, ‘हमने महिलाओं के मुद्दे पर 548 लोगों से संपर्क किया। इनमें ऐड एंड डेवलपमेंट प्रोफेशनल, शिक्षाविद, स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोग, नीति निर्धारक, एनजीओ से जुड़े लोग, पत्रकार और सामाजिक मामलों के टिप्पणीकार शामिल हैं।’
इन ‘विशेषज्ञों’ से कुछ सवालों के जरिए महिलाओं के लिए पांच सबसे खतरनाक देशों के नाम पूछे गए। तो कुल मिलाकर इन लोगों का ‘परसेप्शन’ था, जिन्हें थॉमसन रॉयटर्स ने महिलाओं के मामले में विशेषज्ञ माना। मुद्दे की बात यह है कि भारत को महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक मानने का दावा किसी आंकड़े पर आधारित नहीं है, बल्कि चंद लोग क्या सोचते हैं, उस पर आधारित है।
आदर्श तरीका यह था कि श्री गांधी थोड़ा रुकते और सवाल करते कि आखिर ये एक्सपर्ट हैं कौन? दुख की बात है कि उन्होंने ऐसा नहीं किया। संस्था के मेथॉडोलॉजी पेज पर कोई नाम नहीं है। ऐसे में देश की बड़ी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष, जो लगातार लोगों की नजरों में रहते हैं, जिन्हें अपने बयानों को लेकर बहुत जिम्मेदार होने की जरूरत है, उन्होंने 548 ऐसे लोगों के ‘परसेप्शन’ पर भरोसा किया, जिनका नाम या उनके बारे में कुछ भी नहीं जानते। ऐसा करते हुए उन्होंने 100 करोड़ भारतीयों पर महिला विरोधी होने का तमगा लगा दिया।
राहुल गांधी क्या भारत और सीरिया में फर्क नही जानते ?
इस मामले में राहुल गांधी के ट्वीट से साबित होता है कि या तो उन्हें मामले की कतई जानकारी नहीं है या वो कोरा झूठ बोल रहे हैं। ध्यान रखिए कि सीरिया जैसे देश को वो भारत से बेहतर बता रहे हैं। पिछले कुछ सालों में सीरिया ने बुरे हालात देखे हैं। सैकड़ों महिलाओं के साथ रेप हुआ है या उन्हें सेक्स गुलाम जैसा बनाकर रखा गया है। इनमें तमाम लड़कियां तो बच्चियों की श्रेणी में आती हैं। क्या यही वो देश है, जिसे राहुल गांधी भारत से बेहतर मानते हैं?
रेप के आंकड़े
रेप महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में सबसे अहम है। इस अपराध को अंजाम देने वाले हर कायर को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। हालांकि, जब राहुल गांधी ने भारत की बाकी देशों से तुलना कर ही दी है, जो जरूरी है कि कुछ आंकड़े देख लिए जाएं। एफबीआई के मुताबिक अमेरिका जैसे विकसित देश के आंकड़े हैं। 2016 में करीब 93 हजार 730 रेप के मामले रजिस्टर हुए थे। क्राइम रेट यानी प्रति एक लाख जनसंख्या पर क्राइम का नंबर देखना दुनिया में स्टैंडर्ड माना जाता है। इसके मुताबिक प्रति एक लाख अमेरिकी नागरिकों में 40.4 रेप के केस दर्ज किए जाते हैं। 2016 की एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 38 हजार 947 रेप केस दर्ज हुए। प्रति लाख जनसंख्या पर रेप का मामला बनता है 6.3। एक सरसरी नजर यूएनओडीसी पर भी डालनी चाहिए। कई देशों में उनके पास सिर्फ 2015 तक का डेटा है। इसके मुताबिक भी सेक्स हिंसा संबंधी मामले में भारत टॉप देशों में कहीं नहीं आता।
सच है कि रेप के केस दर्ज करवाने के मामले मे फर्क है। संस्कृति के मामले में देशों का फर्क होता है। यहां तक कि रेप की परिभाषा को लेकर फर्क आ सकता है। हमें अपनी महिलाओं को इतना हिम्मती बनाना होगा कि वे सेक्स हिंसा के खिलाफ रिपोर्ट कराएं। इसके साथ ही अपने सिस्टम को इतना सुचारू बनाना होगा कि वे सेंसिटिव तरीके से इन मामलों से निपटें या डील करें। महिला के खिलाफ कोई भी हिंसा की घटना निंदनीय है। इस तरह की घटनाएं बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। यह हमें अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखना चाहिए, ताकि देश महिलाओं के लिए बेहतर बन सके।
इन सब बातों के बावजूद भारत यकीनन महिलाओं के लिए बहुत से देशों से बेहतर है। भले ही श्री गांधी अपने साथी भारतीयों के बारे में कुछ भी सोचें। अपने करोड़ों साथी देशवासियों को उन्होंने महिलाओं के मामले मे दुनिया का सबसे खतरनाक करार दे दिया है। यह उनकी शूट करने और भाग जाने वाली राजनीति का हिस्सा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने आपको नई नीचाइयों तक पहुंचा लिया है।
साभार: फर्स्ट पोस्ट