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आतंकवादी मुहम्मद रफी भट |
कश्मीर यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर, जिसके दो दिन पहले गायब होने की खबर आती है। फिर घरवालों को पता चलता है कि वो आतंकी है। सेना के जवानों ने उसे एनकाउंटर में मार गिराया। हम बात कर रहे हैं कश्मीर यूनिवर्सिटी के सोशियोलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे मोहम्मद रफी भट की, जो आतंकी था। रविवार को सेना के जवानों ने रफी समेत पांच आतंकियों का एनकाउंटर किया। लेकिन सवाल की आखिर एक प्रोफेसर आतंकी कैसे बन गया?
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आतंकवादी मुहम्मद रफी भट के पिता |
बचपन से ही जिहादी मानसिकता का था
कश्मीर के गंदरबाल जिले के चुंडुना गांव में रहने वाले रफी ने नेट और JRF क्वालीफाई किया था। उसने पिछले साल पीएचडी पूरी की थी। इसी दौरान वो कश्मीर यूनिवर्सिटी में सोशियोलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर बन गया था। शुक्रवार के दिन रफी ने लास्ट लेक्चर लिया था। इसके बाद करीब 3.06 बजे से गायब हो गया। मीडिया रिपोट्स के मुताबिक रफी भट बचपन से ही जिहादी मानसिकता का था। पिता ने बताया कि वे शुरू से ही रफी पर कड़ी नजर रखते थे। 18 साल की उम्र में उसने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में जाने की कोशिश की, पर पुलिस ने उसे पकड़कर परिवार के हवाले कर दिया। रफी का एक चचेरा भाई भी 1990 के दशक में आतंकी संगठन से जुड़ा था, बाद में उसका भी एनकाउंटर हो गया।
रफी ने चार साल पहले ही शादी की थी। लेकिन अभी उसका एक भी बच्चा नहीं है। पुलिस के मुताबिक रफी सरेंडर करना चाहता था लेकिन उसके दूसरे साथियों ने ऐसा नहीं करने दिया।
आतंकी गतिविधियों से दूर रखने की कोशिश की
पिता ने बताया कि वो रफी भट को आतंकी गतिविधियों से दूर रखने की कोशिश करते थे। उन्हें अक्सर ये चिंता सताती थी कि जिहादी मानसिकता वाले उनके बेटे का क्या अंजाम होगा। जब बेटा असिस्टेंट प्रोफेसर बन गया तो वो निश्चिंत हो गए। उन्हें लगने लगा कि अब बेटा सही रास्ते पर आ जाएगा। पिता ने बताया कि जब बेटे ने पीएचडी पूरी की थी तो न्यूजपेपर में विज्ञापन भी छपा था। जिसके बाद वो काफी खुश हुए थे।
रफी ने फोन पर पिता से क्या कहा
जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक, रफी की फैमिली शोपियां जिले में अपने घर पर थी, जब रविवार सुबह उनके मोबाइल पर कॉल किया। दरअसल, रफी ने ही माता-पिता से बात करने के लिए आखिरी बार फोन किया था। पिता अहमद भट ने पुलिस को बताया कि उन्होंने बेटे से आखिरी बार हुई बातचीत में उसे मनाने की कोशिश की। लेकिन रफी ने कहा- 'अगर मैंने आपको दुख पहुंचाया है तो मुझे माफ करना। यह मेरा आखिरी कॉल है, मैं अल्लाह से मिलने जा रहा हूं।'
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