तीस बच्चों के रेपिस्ट पादरी को माफी: “दयालु” पोप

डेली मेल के समाचार की हैडिंग


घटनास्थल : दक्षिण मेक्सिको का ओक्साका शहर!
पादरी का नाम: जोस गार्सिया अटाल्फो

वेटिकन में फ़ैली हुई बाल यौन शोषण की सड़ांध वाली परंपरा को बरकरार रखते हुए जोस गार्सिया ने पुलिस के सामने स्वयं स्वीकार किया कि उसने दो दर्जन से अधिक लड़कियों जिनकी आयु पाँच से दस वर्ष के बीच है, के साथ चर्च में बलात्कार किया। इससे भी घृणित बात यह भी है कि इस पादरी को यह पता था कि वह स्वयं HIV एड्स से ग्रस्त है। मैक्सिको के इस शहर में स्थित कैथोलिक चर्च के पादरी के इस अपराध की पोल खोली वहीं की एक वेबसाईट ने। इस वेबसाईट के पत्रकार ने बच्चियों को विश्वास में लेकर उनसे पूछताछ की तब जाकर यह भयानक मामला खुला।

लेकिन इससे भी ज्यादा घृणित बात इसके आगे है-
पिछले लगभग दस वर्षों में वेटिकन के सर्वेसर्वा यानी पोप महाशय चर्च के पादरियों के बढ़ते बाल यौन शोषण से परेशान हैं। लेकिन वे परेशान सिर्फ दिखावे के लिए हैं, क्योंकि जब-जब भी ऐसे मामले सामने आते हैं तो पोप सम्बन्धित परिवार पर दबाव बनाकर मामला रफा-दफा करवा देते हैं और उस बलात्कारी पादरी को उस चर्च से दूसरे स्थान के किसी चर्च में ट्रांसफर कर दिया जाता है। न कोई पुलिस केस, और ना कोई सजा। पोप के इसी “अभयदान” के कारण चर्च में बाल यौन शोषण की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, लेकिन पोप का यह “अति-दयालु”(???) रवैया अभी भी बरक़रार है।
भारत मे चर्च द्वारा बच्चो के बलात्कारियों को फांसी पर विरोध

मैक्सिको के इस मामले में भी यही हुआ है। तीस बच्चियों में से केवल दो बच्चियों के परिवार इस बलात्कारी पादरी के खिलाफ रिपोर्ट करने सामने आए, लेकिन वेटिकन से आदेश आ गया कि “मामला खत्म हो चुका है, अब इस मुद्दे पर कार्यवाही की जरूरत नहीं है”। एक पीड़ित बच्ची की माता ने पोप फ्रांसिस से मिलने की कोशिश की परन्तु पोप ने उसकी माँग को खारिज कर दिया। पोप फ्रांसिस ने कहा है कि वे एक “दयालु चर्च” का निर्माण करना चाहते हैं, इसीलिए वे इन पादरियों को सजा देने की बजाय उनका स्थानान्तरण करते हैं, ताकि वे नए स्थान पर नई ऊर्जा के साथ ईश्वर की पवित्र सेवा कर सकें। पोप फ्रांसिस के अनुसार बाल यौन शोषण के आरोपित पादरियों को सजा देने का कोई फायदा नहीं है। पिछले दस वर्षों में अमेरिका जैसे जागरूक देशों में बाल यौन शोषण के मामले को लेकर वेटिकन ने लाखों डॉलर का मुआवजा भुगतान पीड़ित बच्चों के परिवार को किया, लेकिन अपने पादरियों पर आँच नहीं आने दी।

वेटिकन में गन्दगी और ढोंग इतना ज्यादा है कि जनता के दबाव में 2004 में रोम के मार्शल मेसियल नामक पादरी के खिलाफ वेटिकन ने जाँच कमेटी बैठाई थी। मार्शल ने छः बच्चों के साथ यौन शोषण किया था। लेकिन सिर्फ दो वर्ष में ही जाँच पूरी कर ली गई, और 2006 में “भीषण सजा” के तौर पर पादरी मार्शल को चर्च की सेवाओं से रिटायर कर दिया गया। इस ताज़ा मामले में तीस बच्चियों के बलात्कारी पादरी जोस ने कहा है कि यह काम उसने नहीं किया है, बल्कि “शैतान” ने उससे करवाया है, और इसलिए पोप ने पादरी को माफी देकर दूसरे चर्च में भेज दिया है। जो तीस बच्चियाँ इस भयानक अनुभव से गुज़री हैं और जिन्हें HIV ग्रस्त पादरी द्वारा एड्स होने की पूरी संभावना है, उनका जीवन बर्बाद हो गया।

हल्ले लुईये... हल्ले लुईये…





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