“ढांचा नही बचा और ढांचे के टूटने का न मुझे कोई खेद है न कोई पश्चाताप है, न कोई प्राश्चित है,No Regret, No Repentance, No Sorrow, No Grief. इच्छा ढांचे को तोड़ने की नही थी इच्छा राम मंदिर की थी” -कल्याण सिंह
90 के दशक में कल्याण सिंह पहली बार उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने | ये ऐसे नेता थे, ऐसे देशभक्त थे, ऐसे श्रीराम जी के भक्त थे जिन्होंने सत्ता का कोई लालच कभी नही किया और अगर सत्ता में आये थे तो वो सिर्फ इस बाबरी का सड़ा हुआ ढांचा गिराने के लिए आये थे। ऐसे निडर नेता थे कल्याण सिंह लेकिन आज के नेताओं को देखिये इनको सत्ता से प्रेम है धरम से नही। कल्याण सिंह जी भाजपा सरकार में थे। भाजपा ने अयोध्या में राम मंदिर को लेकर पूरे देश में रथ यात्रा निकाली थी उत्तर प्रदेश की जनता ने पूर्ण बहुमत के साथ कल्याण सिंह को सत्ता दी यानी की उत्तर प्रदेश की जनता ने खुल के कहा जाओ मंदिर बनाओ।
कल्याण सिंह ने सरकार बनने के तुरंत बाद विश्व हिन्दू परिषद को मस्जिद से जुड़ी जगह कारसेवा के लिए दे दी। संघ के हजारों कार सेवक, साधू-संत दिन रात उस जमीन को समतल बनाने में लगे रहते। सुप्रीम कोर्ट ये सब देख के बहुत परेशान था। सर्वोच्च न्यालय ने कल्याण सिंह से पूछा क्या आपको यकीन है की ये लोग यहाँ जमीन समतल करने आये हैं, मतलब की कोई गलत कार्य नही होना चाहिए। आपके लोगों ने अगर मस्जिद पर हाथ लगाया तो अच्छा नही होगा। यही लोग दो साल पहले मस्जिद के गुम्बंद पर चढ़ गये थे फावड़ा ले के अब की बार अगर फिर ऐसा हुआ। कल्याण सिंह ने माई लार्ड को समझाया की माई लार्ड ऐसा नही होगा लेकिन माई लार्ड नही माने बोले हमें तुम संघिओं पर भरोसा नही इसलिए लिख कर दो, की कुछ नहीं करोगे तो कल्याण सिंह ने माई लार्ड को बकाएदा लिख के एक हलफनामा दिया की हम लोग सब कुछ भी करेंगे लेकिन मस्जिद को हाथ नही लगाएंगे |
अयोध्या में कारसेवा के लिए दिन रखा गया 6 दिसम्बर 1992। केंद्र की कांग्रेसी सरकार ने कहा केवल 2 लाख लोग आयेंगे कारसेवा के लिए। लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार ने पांच लाख लोगों को कारसेवा के लिए बुला लिया। प्रशासन को साफ़ हिदायत थी की भीड़ कितनी भी उग्र हो कोई गोली, लाठी नही चलाएगा। पांच लाख लोग एक जगह जुड़ गये, जय श्री राम, राम मंदिर वहीं बनायेंगे के नारे लगने लगे। लोगों में जोश आ गया और लोग गुबंद पर चड़ गये। पांच घंटे के बाद उस 400 साल पुरानी मस्जिद का अता पता नही था।
एक-एक ईंट कारसेवकों ने उखाड़ दी थी
केंद्र सरकार के ग्रह मंत्री का फ़ोन कल्याण सिंह को आया और उन्होंने कहा की हमारी सूचना के अनुसार कारसेवक बाबरी मस्जिद के गुम्बज पर चड़ गये है, आपके पास इस बारे में क्या खबर है तो कल्याण सिंह ने कहा की “मेरे पास इससे एक कदम आगे की सूचना है की कारसेवकों ने गुम्बद को तोड़ना भी शुरू कर दिया है, जो होना था वो हो गया, अब क्या कर सकते है, एक गुबंद और बचा है, कारसेवक उसी को तोड़ रहे है लेकिन आप जान लीजिये मैं गोली नही चलाऊंगा”
उधर सुप्रीम कोर्ट के माई लार्ड कल्याण सिंह से बहुत नाराज़ थे। 6 दिसम्बर की शाम में कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया और उधर केंद्र ने राज्य की भाजपा सरकार को बर्खास्त कर दिया। कल्याण सिंह को एक दिन की जेल हो गयी। उस समय केंद्र में पी वी नरसिम्हा राव की सरकार ने तुरंत पांच राज्यों में जहाँ बीजेपी की सरकार थी वहां से उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। उत्तर प्रदेश में दोबारा चुनाव हुए तो बीजेपी को पूरी उम्मीद थी की हिन्दुओं के लिए इतनी बड़ी कुर्बानी देने के लिए उत्तर प्रदेश की जनता उन्हें फिर से चुनेगी लेकिन ऐसा नही हुआ। बीजेपी उत्तर प्रदेश चुनाव हार गयी और फिर 2017 तक उन्हें पूर्ण बहुमत नही मिला। कल्याण सिंह जैसे बड़े और साहसिक फैसले लेने वाले नेता का राजनीतिक कैरियर बाबरी मस्जिद विध्वंस ने खत्म कर दिया।
लिब्राहन कमीशन की बाबरी मस्जिद विवाद पर 17 साल बाद आई रिपोर्ट में कल्याण सिंह को मुख्य गुनहगार माना गया है। जब इस बारे में कल्याण सिंह जी से पूछा गया तो कल्याण सिंह ने कहा “जिस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए लिब्राहन साहब ने 17 साल लिए, ये रिपोर्ट 17 दिन में तैयार हो सकती थी, 17 साल सिर्फ पैसा बर्बाद हुआ है, 8 करोड़ रुपये खर्च हो गये है और रिपोर्ट में बाकी चीजें कम, लिब्राहन साहब ने राजनीति ज्यादा डिस्कस की है, और मेरे अनुसार ये रिपोर्ट कूड़ेदान में फैंकने के लायक है और दूसरा ये कहना की ये साजिश थी, ये साजिश बिलकुल नही थी, ये सैंकड़ों साल से करोड़ों हिन्दुओं की कुचली गयी भावनाओं का विस्फोट था जो 6 दिसम्बर 1992 को उस घटनाक्रम में सामने आगया”।
400 साल से खड़ी मस्जिद को पांच लाख की भीड़ से गिरवाने के लिए 56 इंच का सीना चाहिए होता है जो वीर कल्याण सिंह के पास था। प्रधान मंत्री मोदीजी ने भी कल्याण सिंह की तारीफ में कहा है “जब कल्याण सिंह को सेवा करने का मौका मिला ये सारे गुंडागर्दी करने वाले लोग या तो जेल में थे या सीधी लाइन पे चलने के लिए मजबूर हो गये“। हमारा फ़र्ज़ बनता है की हम कल्याण सिंह जी द्वारा शुरू किए गये राम मंदिर के इस आन्दोलन को आगे बड़ाए और श्री राम का मंदिर उनकी जनम भूमि अयोध्या में बनवाए।
जय श्री राम