दादी की तरह दादा की कब्र पर क्यों नहीं जाते राहुल, क्या धर्म छुपाना चाहते हैं हिन्दुओं से ?




सोशल मीडिया  पर  राहुल गांधी से पूछा जा रहा है महत्वपूर्ण सवाल, जो पलट सकता है  गुजरात की हवा।
यह तो सच है कि राहुल गांधी राजीव गांधी और सोनिया गांधी की संतान है। इसी तरह  राजीव गांधी फिरोज़ गांधी और इंदिरा गांधी की संतान थी। सोशल मीडिया पर वायरल समाचारो के अनुसार इंदिरा गांधी का विवाह  फिरोज गांधी से हुआ था मुस्लिम धर्म से होने के कारण उन्हें मृत्यु के उपरांत  ममफोर्ड गंज इलाहाबाद में दफनाया गया था। उसी स्थान पर उनकी एक कब्र स्थापित है। अतः यदि पीढ़ी के अनुसार धर्म की गणना की जाए तो राहुल गांधी कही से भी हिन्दू धर्म के अनुयायी नही होते है।


गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी हिन्दुओ को अपनी ओर आकर्षित करने के उद्देश्य से  द्वारिकाधीश धाम से शुरुवात करके गुजरात के सभी मंदिरों में माथा टेक रहे है। 8 सितम्बर को अपने दादा की पुण्यतिथि पर राहुल गांधी इसी कारण अपने दादा की समाधि पर माथा टेकने नही जाते है।

अभी कुछ ही दिन पहले महात्मा गाँधी के असल पड़पोते ने राहुल गाँधी को लिखित में कहा था की “गाँधी नाम का इस्तेमाल अब बंद कीजिये, आप लोगों का गाँधी से कुछ लेना देना नहीं है, इस से असमंजस की स्तिथि बनती है!” पर राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी जो असल में गाँधी है ही नहीं, वो गाँधी नाम का इस्तेमाल कर रहे है।
अभी कुछ ही दिनों पहले 31 अक्टूबर का दिन था, राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी इंदिरा गाँधी की समाधी पर गए थे, दिल्ली के बीचों बीच इंदिरा गाँधी की समाधी 45 एकड़ जमीन पर बनी हुई है, हर साल इंदिरा गाँधी के जन्मदिवस और मरणदिवास पर राहुल गाँधी, प्रियंका वाड्रा, सोनिया गाँधी इत्यादि जाते है।

राहुल गाँधी अपनी दादी की समाधी पर हर साल जाते है, कम से कम 2 बार तो जाते ही है, जन्मदिवस और मरणदिवास के दिन, पर अपने दादा से राहुल गाँधी को क्या नफरत है? क्यूंकि फिरोज खान की कब्र पर न राहुल गाँधी जाते है न प्रियंका वाड्रा जाते है, न ही सोनिया गाँधी जाती है। दादी से प्यार पर दादा से नफरत, ये कुछ समझ नहीं आता।

सोसल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि मीडिया वाले आपको नहीं दिखाएंगे, पर हम आपको दिखाते है राहुल गाँधी के दादा फिरोज खान की कब्र, देख लीजिये नाम भी कन्फर्म कर लीजिये, हालाँकि उस शख्स का नाम फिरोज खान था, गाँधी ने फिरोज खान को कभी गोद नहीं लिया था, पर राजनीती के तहत फिरोज खान को कांग्रेस ने फिरोज गाँधी बना दिया।

राहुल गांधी के दादा फिरोज खान की कब्र

देख लीजिये फिरोज़ गांधी की कब्र की साफ़ तस्वीर है, नाम इत्यादि लिखा हुआ है। राहुल गाँधी के दादा की कब्र इलाहबाद शहर के मम्फोर्डगंज में स्तिथ है। इसी कब्र के नीचे इंदिरा गाँधी के शौहर को मरने के बाद दफ़न किया गया था।

अब दादी की समाधी पर हर साल जाने वाले राहुल गाँधी दादा की कब्र पर क्यों नहीं जाते? इसका एक कारण हमे समझ आता है और वो कारण ये है की फिरोज खान के नाम से दुरी बनाकर रखना है, वरना फिर राहुल गाँधी की पहचान राहुल खान होने में अधिक समय नहीं लगेगा, और जहाँ राहुल खान की पहचान हो गयी, कांग्रेस की तो नैया ही डूब जाएगी। क्यूंकि जितना भी सेकुलरिज्म हो भारत में पर जबतक हिन्दू बहुसंख्यक है, फिर तब तो  राहुल खान के रूप में ही घूमना पड़ेगा ।

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