22 वर्ष पहले कांग्रेस के समय गुजरात मे क्या स्थिति थी ?



जेपी सिंह:
गुजरात में बीजेपी पिछले 22 सालों से सत्ता में है। यानी एक पूरी की पूरी पीढ़ी जवान हो चुकी है जिसने अपनी जिंदगी में कभी कांग्रेस का राज गुजरात में नहीं देखा..। कांग्रेसी गुंडों का अत्याचार नहीं देखा।

अत्याचार के आगे प्रशासन नतमस्तक था

जब कांग्रेस का एक मुख्यमंत्री चिमन भाई पटेल एक विधवा का मकान जबरन कब्ज़ा कर लिया था जब लतीफ साज़िद इलियास टायरवाला और सूरत में मोहम्मद सुर्ती, मोहम्मद आबिद जैसे गुंडों के अत्याचार थे। जो जब चाहे तब किसी हिंदू लड़की को उठा ले जाते थे या किसी हिंदू का मकान कब्जा कर लेते थे। इन मुस्लिम गुंडों की पहुंच सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय और कांग्रेस कार्यालय तक थी। इसलिए पुलिस कमिश्नर तक की हिम्मत नहीं होती थी कि वह इन गुंडों पर हाथ डाल सके

दहशत से बस का रूट बदल जाता था

मुस्लिम गुंडों का अत्याचार इतना बढ़ चुका था कि शायद देश में पहली बार ऐसा हुआ जब सरकारी बसों का रूट बदला गया! जी हां हाईवे से अहमदाबाद में घुसने वाली बसें जो आज जुहापुरा होकर ST बस स्टैंड आती हैं वो कांग्रेस के राज में 25 किलोमीटर घूमकर ST स्टैंड आती थी। क्योंकि मुस्लिम गुंडे जब चाहे तब जुहापुरा में बस को रोककर यात्रियों से मारपीट करते थे या लूट ले रहे थे या बस को आग लगा देते थे।

किडनैपिंग का धंधा जोरो पर था

कांग्रेस के जमाने में जिसे भी  बिजनेस करना होता था वह इन गुंडों को हफ्ता जरूर देता था। कांग्रेस के कई मंत्री को बिजनेस करना होता था वह इन गुंडों को हफ्ता जरूर देता था। कांग्रेस के कई मंत्री बकायदा एक वसूली का संगठित गिरोह चलाते थे। यहां तक कि गौतम अडानी जैसे बड़े बिजनेसमैन को फजलुर्रहमान किडनैप करके नेपाल ले गया था और लंबी-चौड़ी फिरौती वसूलने के बाद छोड़ा था। दहशत से गुजरात के बड़े औद्योगिक घराने मुंबई शिफ्ट हो गए।

लाइटवाला सरनेम कैसे पड़ा?

अहमदाबाद, सूरत, वापी आदि जगहों पर आज भी आपको कई मुस्लिम परिवार मिल जाएंगे जिनका सरनेम लाइटवाला होता है। आप यह जानकर चौक जाएंगे यह लाइटवाला सरनेम  कैसे पड़ गया? कांग्रेस के राज में सूरत, वापी और अहमदाबाद में मुस्लिम गुंडे अपना खुद का  बिजली का डिस्ट्रीब्यूशन सब स्टेशन चलाते थे। बिजली विभाग की तो बात छोड़िए पुलिस वालों की भी हिम्मत नहीं पड़ती थी कि वह इन समानांतर व्यवस्था पर रोक लगा सके। इन गुंडों को लाइटवाला कहा जाता था फिर धीरे-धीरे इनका सरनेम ही लाइटवाला हो गया।

पिछले 22 साल से अहमदाबाद की जो रथयात्रा शांति से निकल रही है, वह कांग्रेस के जमाने में कभी भी शांति से नहीं निकली ..। अहमदाबाद सूरत, बड़ोदरा जैसे शहरों में महीने में 10 दिन तो कर्फ्यू लगा रहता था। उस समय यदि किसी को अहमदाबाद आना होता था तो वह पहले अपने किसी रिश्तेदार से पूछता था कि क्या शहर चालू है कि बंद है? गुजरात में 10 घंटे भी बिजली नहीं आती थी।

काश गुजरात की नई पीढ़ी अपने अपने पिता और दादा से कांग्रेस के जमाने की बात पूछें और फिर सोचे क्या वह वापस उस राज्य को वापस लाना चाहेगा?
साभार: जितेंद्र प्रताप सिंह के फेसबुक दीवार से।

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