एक बिहारी का गुजरातियों के नाम एक पत्र !





संजय द्विवेद:
मेरे प्यारे ७ करोड़ गुजरात के मित्रों,
पिछले १५ वर्षों में गुजरात ने अभूतपूर्व विकास होते देखा हैI चाहे कृषि हो, सिंचाई व्यवस्था का विकास एवं विस्तार, औद्योगिक विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर, २४ घण्टे बिजली, बेहतरीन सड़कें और सुदृढ़ क़ानून-व्यवस्था - आज गुजरात हर क्षेत्र में कई अन्य राज्यों से अव्वल है I

देश में आज भी कई राज्य हैं, जहाँ "बिजली, सड़क एवं पानी" जैसे मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैंI नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में 12 साल हुए विकास के कारण गुजरात इन मूलभूत मुद्दों से ऊपर उठ चुका हैI आज गुजरात के गाँव-गाँव में बिजली, सड़क एवं पानी हैI जिस गुजरात में सूखे की इतनी विकराल समस्या थी, आज गुजरात के सूखा-प्रभावित क्षेत्रों में लहलहाती फसलें हैंI मोदी जी ने सिंचाई व्यवस्था को इतना सुदृढ़ कर दिया कि सूखे कि समस्या पर विजय प्राप्त कर कृषि के क्षेत्र में गुजरात ने अविश्वसनीय रूप से तरक्की कीI आज के दिन इस देश में गुजरात के अलावा शायद ही कोई राज्य है जहाँ शहर, कसबे और गाँव हर जगह के लोग चौबीस घंटे बिजली की कल्पना कर सकते हैंI

रोज़गार के क्षेत्र में गुजरात आज भी हर राज्य से आगे हैI बिहार, उत्तर प्रदेश एवं अन्य राज्य के लोग भी रोजगार ढूंढने अहमदाबाद, सूरत, वड़ोदरा, भुज जाते हैं!। २००२ से २०१३ के कालखंड में जो गुजरात में विस्तृत औद्योगीकरण हुआ, उस कारण से मिला-जुला कर गुजरात के हर जिले में रोजगार उपलब्ध है।

आज गुजरात में लोगों के मूलभूत समस्या का समाधान हो चुका है


विकास न केवल दिख रहा है, अपितु विकास का फल अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों तक पहुंच रहा है। अतः इस समय उस विकास के यात्रा को और भी मजबूत करने की जिम्मेदारी है। पिछले १५-२० वर्षों से गुजरात पूरे देश के लिए एक मॉडल रहा है। गुजरातियों ने विकास एवं हिन्दू एकता के मुद्दे पर मतदान किया है (२०१४ लोक सभा चुनाव में भाजपा को ६०% वोट मिलना इस बात का गवाह है)। गुजराती अस्मिता से सबसे अधिक यदि किसी को लाभ हुआ है तो ७ करोड़ गुजरातियों को ।

पिछले कुछ महीनों से, गुजरात में हिन्दू एकता को भंग करने के लिए बहुत प्रयास किये जा रहे हैं। जाती एवं समुदाय के नाम पर हिन्दुओं को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। पटेल, पाटीदार, पिछड़े, अति-पिछड़े, दलित, इत्यादि के नाम पर लोगों को भिड़ाने का घिनौना काम कोन्ग्रेस्स कर रही है। १९९० के दशक में बिहार को भी ऐसे ही तोड़ दिया गया था - जाति के नाम पर। उसके बाद से बिहार आज तक कभी नहीं उभर सका। आज भी बिहार जात-पात के नाम पर टूटा हुआ है और मतदान भी जाति के आधार पर करता है। परिणाम आप सबके सामने है।

जातिवाद के जहर के कारण बिहार से विकास गायब हो गया

क़ानून व्यवस्था का कोई नामो-निशाँ नहीं रहा। आये दिन गुंडागर्दी, लूट, हत्या, अपहरण, फिरौती सामान्य हो गए। विशेष जातियां, चूंकि वोट बैंक बन गयी थी, सरकार ने उन जातियों के गुंडों को बढ़ावा दिया। जातीय तुष्टिकरण ने बिहार को सौ वर्ष पीछे धकेल दिया। यह सब मैं अपने अनुभव से कह रहा हूँ। आज भी बिहार में नौकरियां नहीं हैं। बिहार से काम ढूंढने आज भी लाखों कि संख्या में गुजरात, जाते हैं। हाल ऐसा है कि बिहार के राजधानी पटना में भी रोजगार नहीं के बराबर है। न ही कोई उद्योग है और न ही कोई प्राइवेट सेक्टर कम्पनियाँ। जाती-आधारित चुनाव ने बिहार को बर्बाद कर दिया।
मेरे गुजरात के मित्रों, मैं यह अपने अनुभव से कह रहा हूँ। कांग्रेस ने जो तीन कठपुतली खड़े किये हैं आपको जाति के नाम पर बांटने के लिए, उनसे दूर रहे। जात-पात में न फंसें। विकास सर्वोपरि है। ईश्वर न करे कि आप गुजरातियों को भी वही दिन देखने पड़े जो बिहार पिछले ३० वर्ष से देख रहा है। भगवान ऐसा न करे कि एक ऐसा भी दिन आये कि गुजरातियों को अपने राज्य के बाहर जा कर रोज़गार ढूंढना पड़े और गुजरात के लोगों को २४ घंटे बिजली, अच्छी सड़कें एवं क़ानून-व्यवस्था से हाथ धोना पड़ जाए।

मुझे सात करोड़ गुजरातियों पर पूर्ण विश्वास है कि वह अपने प्यारे विकसित गुजरात को अगला बिहार नहीं बनने देंगे।

आपका शुभचिंतक,

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