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जिहादी टीपू की पूजा करते कांग्रेसी नेता |
वोट बैंक की राजनीति अपने ही देश के लोगों का ख़ून बहाने वाले टीपू सुल्तान का जन्मदिन मनाने पर आमादा है। अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़ने की वजह से टीपू सुल्तान को कुछ इतिहासकारों ने ‘फ़्रीडम फ़ाइटर’ का दर्जा दिया है। पर क्या इससे टीपू की तलवार पर लगे अपने ही देश के लोगों के ख़ून के दाग़ धुल जाते हैं? ध्यान रहे! टीपू सुल्तान अपने राज्य को बचाने के लिए लड़ा था, न कि भारत के लिए लड़ा था।
कूर्ग के इतिहास को टटोलिए तो टीपू के इतिहास के सबसे दाग़दार पन्ने खुलते हैं। जिसने कूर्ग के लोगों को धोखे से बंदी बना कर उन्हें इस्लाम क़ुबूल करने पर मजबूर किया। टीपू सुल्तान ने ख़ुद करनूल के नवाब को लिखी चिट्ठी में दावा किया है कि “उसने 40,000 कूर्ग निवासियों का धर्म परिवर्तन कराया।”I
कूर्ग के मंदिरों को तबाह करने पर आमादा टीपू सुल्तान के क़हर से बचाने के लिए ओंकारेश्वर मंदिर के पुजारियों ने मंदिर पर गुंबद बनवा दिए। मैसूर गजट के मुताबिक़ टीपू के राज में कम से कम 8,000 मंदिर तोड़ डाले गए। जब टीपू सुल्तान परास्त हुआ तो उसके राज्य में केवल दो मंदिर ऐसे कहे जाते हैं जहाँ नित्य पूजा होती थी। केवल कूर्ग में हिंदू ही नहीं मालाबार में ईसाई भी टीपू को उतना ही अत्याचारी शासक मानते हैं।
लेकिन धर्म में वोट बैंक तलाशने वाली राजनीतिक पार्टियों का असली धर्म केवल वोट ही होता है। इसलिए उन्हें ना इतिहास दिखता है, ना भूगोल उन्हें दीखता है सिर्फ़ वोट। भले ही वो एक समुदाय की पीढ़ियों की लाशों पर क्यों न खड़ा हो!
कांग्रेस ने अपने मूल एजेंडे हिन्दू विरोध पर और तेजी से कार्य करना शुरू कर दिया है। इस क्रम में कांग्रेस की कर्नाटक सरकार ने हिंदुओं का जबरन खतना करवाने वाले टीपू सुलतान को महान बनाते हुए उसकी जयंती का कार्यक्रम घोषित कर दिया है।
टीपू सुल्तान के बारे में कुछ तथ्य दैनिक जागरण के सौजन्य से…..
“टीपू सुल्तान एक विश्वासघाती तानाशाह था”
ऐतिहासिक पुस्तकों के कूर्ग लेखक सीपी बेलिअप्पा कहते हैं कि वह (टीपू सुल्तान) एक विश्वासघाती तानाशाह था। सीपी बेलिअप्पा महारानी विक्टोरिया द्वारा अपनाई गई कूर्ग राजकुमारी की कहानी पर आधारित ‘विक्टोरिया गौरम्मा’ जैसी लोकप्रिय किताब लिख चुके हैं। बेलिअप्पा ने कहा कि कूर्ग जिला टीपू सुल्तान के अत्याचार से सीधे प्रताड़ित था। हैलरी राजवंश के शासनकाल में टीपू सुल्तान ने कई मंदिरों का विनाश किया। काफिरों की हत्या कराई। बड़े पैमाने पर लोगों का धर्म परिवर्तन भी कराया गया था।शांति वार्ता के लिए बुलाकर दिया धोखा
बेलिअप्पा के अनुसार, भारी तबाही के बाद जब कूर्ग में युद्ध की स्थिति पैदा हुई तो टीपू सुल्तान ने कूर्ग के लोगों को शांति पर चर्चा के लिए कावेरी नदी के समीप बागामंडला नामक जगह पर बुलाया। कूर्ग के लोगों को फंसाने के लिए यह टीपू सुल्तान की तरफ से बिछाया गया एक जाल था। जब कूर्ग के लोग वहां पहुंचे तो घात लगाकर पहले से बैठे सुल्तान के लोगों ने कूर्गवासियों पर हमला बोल दिया। उन्हें बंधक बनाकर श्रीरंगपट्टनम लाया गया। वहां, बंधकों को खतना कराने और मांस खाने के लिए मजबूर किया गया।टीपू की अदालत में ही मौजूद हैं उनके अत्याचार के साक्ष्य
कूर्ग में टीपू के कामों का सबूत उनकी अपनी ही अदालत में मौजूद है। टीपू के जीवनी लेखक और दरबारी मीर हुसैन किरमानी ने इतिहास में कूर्ग में टीपू के कारनामों के बारे में लिखा था। मीर के मुताबिक, टीपू सुल्तान ने मूर्तिपूजकों को सजा देने और कूर्ग के शहरों को नष्ट कर वहां अपना आधिपत्य कायम करने के लिए सैनिकों की बड़ी खेप भेजी थी। तब सेना ने हमला कर कूर्ग के कई शहरों को नष्ट कर दिया था। आठ हजार पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को कैदी बनाया गया था। कैदियों को भेड़ के झुंड की तरह एक विशाल समूह के रूप में रखा गया था।40,000 कूर्ग को जबरन कुबूल कराया इस्लाम
कुरनूल के नवाब को लिखे पत्र में टीपू सुल्तान ने दावा किया था कि उन्होंने कूर्ग के 40,000 लोगों को कैदी बनाकर उन्हें इस्लाम कुबूल करवा कर अहमदी कोर में शामिल किया। टीपू सुल्तान द्वारा इस्लाम में परिवर्तित किए गए कुछ कूर्ग परिवार के वंशज आज भी अपने मूल कूर्ग परिवार के नाम को बनाए रखे हैं। टीपू ने जब कूर्ग में मंदिरों को नष्ट करना शुरू किया था, तब मरकारा स्थित ओमकारेश्वर मंदिर की रक्षा करने के लिए उस शहर के निवासियों ने मंदिर के शिखरों को गुंबदों में बदल दिया था। आज भी वहां गुंबद वाले मंदिर सदियों से बरकरार हैं। मैसूर गजट के अनुसार, तब राज्य में केवल दो मंदिरों में दैनिक पूजा होती थी। गजट में लिखा है कि टीपू ने दक्षिण भारत में लगभग आठ हजार मंदिरों को नष्ट कर दिया था।
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