रानी पद्मिनी पर नहींं, एक लड़के पर फिदा था अलाउद्दीन खिलजी, करा दिया था बधिया, बनाता था शारीरिक सम्बन्ध



संजय द्विवेदी:

संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती में अल्लाउद्दीन खिलजी की भूमिका को लेकर हुए विवाद के बाद खिलजी वंश का ये शासक सुर्खियों में है। दिल्ली सल्तनत के दूसरे शासक खिलजी ने 1296 से 1316 तक दिल्ली पर राज किया था। इतिहास खिलजी को जैसे भी याद करे लेकिन साहित्य में खिलजी एक खलनायक है जो राजपूत रानी पद्मिनी को पाने के लिए क्रूरता की सभी सीमाएं पार कर गया।

मलिक मोहम्मद जायसी के महाकाव्य पद्मावत (1540 ईसवी) के अनुसार खिलजी से बचने के लिए पद्मावति कई हजार राजपूत रानियों के संग सती हो गई थी। जायसी का जन्म खिलजी की मृत्यु के करीब 180 साल बाद 1500 ईसवी के आसपास हुआ था। इसीलिए पद्मावति की कहानी को बहुत से लोग मिथकीय मानते हैं। लेकिन अल्लाउद्दीन खिलजी की एक सच्ची प्रेम कहानी ऐसी है जिसे लेकर इतिहासकारों को कोई शक नहीं है। ये कहानी है खिलजी के एक काले गुलाम मलिक काफूर से प्यार की।

ये कहानी किसी कवि की कल्पना नहीं है

इसका जिक्र किया है दिल्ली सल्तनत के प्रमुख विचारक और लेख जियाउद्दीन बरनी ने। बरनी की चर्चित किताब “तारीख-ए-फिरोजशाही” में खिलजी और काफूर के प्यार का खुला जिक्र है। माना जाता है कि काफूर को खिलजी के सिपहसालार नुसरत खान ने 1297 में गुजरात विजय के बाद एक हजार दीनार में खरीदा था। इसीलिए काफूर का एक नाम ‘हजारदिनारी’ भी था। खिलजी काफूर की कमनीयता को देखकर मुग्ध हो गया था। कुछ लेखक मानते हैं कि हिन्दू परिवार में जन्मा काफूर जन्म से किन्नर था। लेकिन ज्यादातर इतिहासकार मानते हैं कि खिलजी ने काफूर को बधिया कराकर उसे मुसलमान बनवाया था।

काफूर केवल खिलजी का प्रेमी नहीं था

वो एक बहादुर योद्धा भी था। उसने खिलजी के लिए मंगोलों के साथ और दक्षिण भारत में महत्वपूर्ण युद्धों में हिस्सा लिया। जियाउद्दीन बरनी के अनुसार काफूर से खिलजी को इतना प्यार था कि उसने उसे अपने शासन में दूसरा सबसे अहम ओहदा (मलिक नायब) दिया था। बरनी के अनुसार अपने जीवन के अाखिरी चार-पांच सालों में खिलजी की याद्दाश्त और सूझबूझ कमजोर हो गयी थी। इन सालों में शासन की पूरी कमान मलिक काफूर के हाथों में आ गयी थी। लेकिन खिलजी को इस प्यार का अंतिम नतीजा क्या रहा? इतिहासकारों का मानना है कि काफूर ने खिलजी को प्यार में धोखा दे दिया था।

इतिहासकारों के अनुसार खिलजी की हत्या के पीछे काफूर की साजिश थी

इतना ही नहीं काफूर ने खिलजी को दो बेटों को अंधा कर दिया। उसने खिलजी के तीसरे बेटे की हत्या की कोशिश की लेकिन वो बच के भाग गया। काफूर ने खिलजी के पांच वर्षीय बेटे को गद्दी पर बैठाकर उसके नाम पर शासन करना चाहा। लेकिन किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया। खिलजी की मौत के कुछ हफ्तों बाद ही काफूर की भी हत्या हो गयी।
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