अमेरिका की नई टेंशन "मोदी"

टाइम मैगजीन ने बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए उन्हें अमेरिका के लिए एक और मुसीबत बताया है। मैगजीन का कहना है कि भारतीय राजनयिक देवयानी खोब्रागड़े की वजह से अमेरिका और भारत के बीच रिश्तों में आई खटास मोदी के उदय की वजह से और खराब हो सकती है।

मैगजीन का 27 जनवरी को जो अंक आने वाला है उसमें माइकल क्राउली की रिपोर्ट में कहा गया कि वीजा फ्रॉड मामले में अमेरिका में मुकदमे का सामना कर रही देवयानी राजनयिक छूट की वजह से भारत लौट गई हैं। टाइम ने कहा, मगर यह आशा नहीं की जानी चाहिए कि रिश्ते जल्द ही सामान्य हो जाएंगे। हो सकता है हालात और खराब हो जाएं क्योंकि एक और प्रमुख भारतीय शख्सियत वीजा विवाद मामले से जुड़ा हुआ है।

इस साल होने वाले लोकसभा चुनावों में बीजेपी की बढ़त की बात स्वीकार करते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि अगर बीजेपी जीतती है तो मोदी भारत के अगले प्रधानमंत्री होंगे। वह ऐसे शख्स हैं जिनके अमेरिका आने पर रोक है। जब तक मोदी के पास कोई नैशनल प्रोफाइल नहीं था, यह प्रतिबंध महत्वहीन था। लेकिन क्या अमेरिका भारत के लीडर को ब्लैकलिस्ट कर सकता है?

रिपोर्ट में क्राउली ने कहा, विदेशी निवेश को लेकर मोदी की जो नीति है, अमेरिकी बिजनेसमैन उसे भुनाना चाहते हैं और उनका कहना है कि भारत के साथ रिश्तों के सिलसिले में मोदी की शख्सियत को ज्यादा अहमियत नहीं दी जाए। अगर मोदी जीतते हैं तो निश्चित तौर पर उन्हें अमेरिका आने देने से रोकने के लिए ओबामा प्रशासन पर दबाव बनाया जाएगा। लेकिन हाल के सालों में अमेरिका ने कई विवादास्पद नेताओं के साथ बिजनेस किया है।

इसलिए अगर मोदी पीएम बनते हैं तो भारत के साथ अमेरिकी रिश्तों को मोदी की शख्सियत के आईने से नहीं देखा जाना चाहिए। मोदी के अतीत को भुलाकर दोनों देशों को आगे बढ़ने की जरूरत होगी

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