जब कृपलानी ने कहा था: "नेहरू! तुम हिंदुओं को धोखा देने के लिए जनेऊ पहनते हो"

हिंदू विरोध कांग्रेस का मौलिक संस्कार है! अनेकों प्रकरणों, प्रसंगों, संदर्भों से यह बात अब पूर्णतया सिद्ध हो चुकी है। यदि इस देश की संस्कृति से प्यार करना और उसके लिए संघर्ष करने की प्रवृत्ति कांग्रेस की रही होती तो यह निश्चित है कि वह देश विरोधी "मुस्लिम लीग" के सामने न तो आत्मसमर्पण करती और न ही तुष्टीकरण कर उसके तलवे चाटती। तब न देश का विभाजन होता और न ही करोड़ों-करोड़ों लोगों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ता।  
    देश का यह सचमुच दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू बने। जिनके बारे में पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने अपनी किताब "मेरा जीवन वृतांत" में पृष्ठ संख्या 456 पर लिखा है कि "पता नही क्यों नेहरु को हिन्दू धर्म के प्रति एक पूर्वाग्रह था?" 
   हिंदू कोड बिल को लाकर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उस समय हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंचाने का काम किया था। यद्यपि उसे वह सरदार पटेल के जीवित रहते हुए लाने का साहस नहीं कर पाए थे। नेहरू हिंदू कोड बिल को सरदार पटेल के जीते जी लाने का साहस क्यों नहीं कर पाए थे? इसका भी रोचक तथ्य हमें मोरारजी देसाई से ही पता चलता है। मोरारजी देसाई आगे लिखते हैं कि "नेहरु ने हिन्दुओं को दोयम नागरिक बनाने के लिए हिन्दू कोड बिल लाने की बड़ी कोशिश की थी, लेकिन सरदार पटेल ने नेहरु को चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि मेरे जीते जी आपने हिन्दू कोड बिल के बारे में सोचा तो मैं कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दूंगा और इस बिल के खिलाफ सड़कों पर हिन्दुओं को लेकर उतर जाऊँगा, फिर पटेल की धमकी से नेहरु जी डर गये थे और उन्होंने सरदार पटेल जी के देहांत के बाद हिन्दू कोड बिल संसद में पास किया था"। 
डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार पटेल को गृहमंत्री का सपथ ग्रहण कराते हुए!
    सरदार पटेल तो चले गए परंतु उसके पश्चात देश के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने अपने स्तर पर इस हिंदू कोड बिल का भरपूर विरोध किया था। उन्होंने इस पर हस्ताक्षर करने से एक बार इनकार कर दिया था, परंतु संवैधानिक बाध्यता के चलते दूसरी बार उन्हें इस पर हस्ताक्षर करने पड़े थे। तब भी उन्होंने यह कहा था कि "इस पर देश का राष्ट्रपति हस्ताक्षर कर रहा है, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद नहीं"। डॉ राजेंद्र प्रसाद ने ऐसा विरोध करके नेहरू को यह बताने का प्रयास किया था कि वह इस बिल को लाकर देश की आत्मा के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। साथ ही यह भी कि यदि आज सरदार पटेल नहीं है तो भी इसका कड़ा विरोध करने के लिए मैं जीवित हूं। 
   मोरारजी देसाई आगे लिखते हैं कि "इस बिल पर चर्चा के दौरान आचार्य जेबी कृपलानी ने नेहरु को कौमवादी और मुस्लिम परस्त कहा था। उन्होंने कहा था कि आप हिन्दुओं को धोखा देने के लिए ही जनेऊ पहनते हो, अन्यथा आपमें हिन्दुओं वाली कोई बात नहीं है। यदि आप सच में धर्म निरपेक्ष होते तो हिन्दू कोड बिल के बजाय सभी धर्मो के लिए कामन कोड बिल लाते।
जेबी कृपलानी के साथ सरदार पटेल
   इस प्रकार आचार्य जे बी कृपलानी ने नेहरू की पोल उस समय भरी संसद के बीच ही खोल दी थी। यह अलग बात है कि निर्लज्जता की सभी सीमाओं को त्यागकर काम करने वाले कांग्रेसियों को इसके पश्चात भी वैसे ही कोई शर्म नहीं आई थी जैसे आज उसके नेता देश विरोधी लोगों का समर्थन कर देश में अराजकता को पैदा करने वाली ताकतों को प्रोत्साहित करके भी शर्म के स्थान पर गर्व अनुभव कर रहे हैं और इसे ही इस देश की आत्मा कहने का मूर्खतापूर्ण कार्य कर रहे हैं। 
   सचमुच सावधान रहने की आवश्यकता है। चाल, चरित्र और चेहरा तो पढ़ना ही है, साथ ही इनका इतिहास भी पढ़ना है, तभी देश बच पाएगा। देश के नए इतिहास में इन तथ्यों का उल्लेख किया जाना बहुत आवश्यक है।

(संपादक ; उगता भारत)

Post a Comment

Previous Post Next Post