S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की क्षमता और नरेंद्र मोदी की रणनीति सफलता!


S400 missile defence system
S-400 जिसकी खरीद पर अमेरिका ने पहले भारत को रोकने का भरपूर प्रयास किया, क्योंकि उनके वर्तमान नियमानुसार “यदि कोई भी देश रशिया से इस प्रकार के उन्नत रक्षा उपकरण क्रय करता है तो कानूनन अमेरिका उस पर प्रतिबंध लगाने हेतु बाध्य हो जाता हैं”

भारत ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के अवसर पर S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम (Missile Defense System) की डील पर हस्ताक्षर कर दिए। भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जिसे अमेरिका अपना मित्र कहता है और रूस अपना सहयोगी, रूस और अमेरिका एक दूसरे के परस्पर विरोधी हैं। इसके बावजूद इन दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध स्थापित होना और परस्पर तालमेल के संग दोनों को साथ लेकर चलना, यह मोदी सरकार की एक रणनीतिक, वैश्विक कूटनीतिक सफलता (A strategic Global diplomatic success) का परिचायक है। हम सभी जानते हैं कि अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम रूस से ले, अमेरिका ने पहले अपना पेट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम (Patriot missile defense system) और फिर अपना THAAD सिस्टम, भारत को ऑफर किया, किंतु भारत ने रणनीतिक रूप से अपने लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम ही लेने का निर्णय लिया और आज उस डील को बिना किसी के दबाव में आए मूर्त रूप दे दिया, और आज ही अमेरिका ने वक्तव्य जारी कर कहा कि हम अपने सहयोगी व मित्र भारत पर सेंक्शन लगाकर उसकी क्षमता कम नही कर सकते, यह अपने आप मे बहुत कुछ कह जाता है।
News about America attitude

मैं आपसे इस लेख में भारत और रशिया के बीच हुई एस-400 मिसाइल मिसाइल डिफेंस सिस्टम डील, उसके रणनीतिक महत्व  और भारत के शत्रुओं पर पड़ने वाले इसके प्रभाव की ही बात करूंगा।

अमेरिका का दबाव बिफल रहा
एस-400 जिसकी खरीद पर अमेरिका ने पहले भारत को रोकने का भरपूर प्रयास किया, क्योंकि उनके वर्तमान नियमानुसार “यदि कोई भी देश रशिया से इस प्रकार के उन्नत रक्षा उपकरण क्रय करता है तो कानूनन अमेरिका उस पर सेंक्शंस लगाने हेतु बाध्य हो जाता हैं”। किंतु भारत के ट्रैक रिकॉर्ड, वैश्विक शक्ति, पोटेंशियल, और अमेरिका से मैत्रीपूर्ण संबंध को देखते हुए अमेरिका ने भारत पर कोई सेंक्शन ना लगाने का निर्णय लिया, किंतु अमेरिका कि ओर से प्रयास होता रहा कि भारत रशिया संग S 400 मिसाईल डिफेंस सिस्टम डील ना करे।

रशिया के अमेरिका से संबंध अच्छे नहीं हैं, जिसकी वजह से अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम ले और अमेरिका ने भारत को अपना THAAD (टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस) सिस्टम और पेट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम ऑफर किया था, किंतु उनकी क्षमता एस-400 की तुलना में कम है। अतः भारत ने अमेरिका की बात नहीं मानी और ऑफर स्वीकार नहीं किया, और आज अमेरिका को भी भारत की रणनीतिक आवश्यकताओं के महत्व समझ आया और उसने भारत द्वारा की गई इस डील पर एक प्रकार से स्वीकार कर ही ली।
S400

S-400 की तकनीकी क्षमता
S-400 की तकनीकी क्षमता की बात करें तो ये विश्व का सबसे उन्नत एडवांस्ड व सॉफिस्टिकेटेड मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। यह 400 किलोमीटर की रेंज में किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल, ड्रोन, लड़ाकू विमान, बॉम्बर प्लेन, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर प्लेन, रिकोनिसेन्स प्लेन, अर्ली वॉर्निंग राडार प्लेन, स्ट्रैटेजिक क्रूज मिसाइल, को निशाना बनाकर टारगेट कर सकता है। किंतु इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पांचवी पीढ़ी के रडार पर ना दिखने वाले F-35 लाइटनिंग-ll और एफ-22 रैप्टर जैसे स्टेल्थ विमानों को भी ट्रैक कर निशाना बना सकता है, और यह विश्व का एकमात्र ऐसा मिसाइल डिफेंस सिस्टम है जिसे यह क्षमता प्राप्त है।

S-400 की अधिकतम टारगेट स्पीड है 4.8 किलोमीटर प्रति सेकंड यानी 17000 किलोमीटर प्रति घंटा अथवा 11000 मील प्रति घंटा। सरल शब्दों में कहें तो ध्वनि की गति से 14 गुना अधिक यानि MAK-14 है। इसकी टारगेट डिटेक्शन रेंज है 600 किलोमीटर और टारगेट हिट करने की रेंज 400 किमी, यह एक साथ 80 टारगेट को एंगेज कर सकता है, एक साथ 160 मिसाइलें  फायर कर सकता है, जिसमें प्रत्येक टारगेट के लिए दो मिसाइल निर्धारित की जाती है। सिस्टम का रिस्पांस टाइम 10 सेकंड है, यह सिस्टम ऑन रोड 60 किलोमीटर प्रति घंटा और ऑफ रोड 25 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चल सकता है। इसकी एक मिसाइल की सक्सेस का प्रोबेबिलिटी रेट 83.3 है (ध्यान रहे यह केवल एक मिसाइल का सक्सेस प्रोबेबिलिटी रेट है, दोनों का नही, और S-400 प्रत्येक टारगेट के लिए दो मिसाइल असाइन करता है)
S400 की युद्धक क्षमता

एक रेगुलर S-400 बटालियन में कम से कम 8 लांचर 32 मिसाइलों के संग होते हैं और एक कमांड पोस्ट होती है। भारत ने 5 S-400 बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम यूनिट खरीदने का रशिया संग इंटरगवर्नमेंटल सौदा लगभग 5.3 बिलियन डॉलर्स में किया है।

एक उदाहरण, जिसे आप समझ सकते है
अब अगर आप अभी तक एस-400 सिस्टम खरीदने के पीछे भारत का उद्देश्य नहीं समझ पाए हैं, तो मैं आपको एक छोटा सा हिंट देता हूं। वह यह है कि पाकिस्तान की चौड़ाई लगभग 385 किलोमीटर है और उसकी लंबाई 667 किलोमीटर है, इसका मतलब यह हुआ भारत ने यदि दो S-400 सिस्टम अपने बॉर्डर पर लगा दिये, तो पूरे पाकिस्तान के Air Space पर ना केवल भारत की नजर होगी बल्कि पूरे पाकिस्तानी एेयर स्पेस में जो भी ड्रोन, विमान, लड़ाकू विमान, पैसेंजर विमान, अर्ली वार्निंग एरिया कंट्रोल विमान, क्रूज मिसाइल, टैकक्टिकल न्यूक्लियर मिसाइल, बैलिस्टिक मिसाइल जो कुछ भी हवा में होगा, उसे भारत बड़ी ही सरलता से नष्ट कर सकता है। यानी पूरा पाकिस्तान का एयरस्पेस भारत के कब्जे में होगा और उसकी सुरक्षा भारत के रहमो-करम पर होगी।  युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान की एयरफोर्स और मिसाइलें अप्रासंगिक और निरर्थक साबित होंगी और पाकिस्तानी वायुसेना को बचने के लिए पाकिस्तानी एयरस्पेस छोड़कर अफगानिस्तान व ईरान की सीमाओं में शरण लेने जाना होगा।


अब आप समझ गए होंगे की एस-400 का क्या रणनीतिक महत्व है और क्यों भारत सरकार ने अमेरिकी ऑफर अस्वीकार किया और अमेरिकी आफर न मानते हुए S-400 की डील पर अपने कदम पीछे नहीं खींचे। मोदी सरकार ने अमेरिकी दबाव में आए बिना यह डील पूरी करी और पाकिस्तानी एयर फोर्स और न्युक्लियर कमांड के विध्वंस के सौदे पर हस्ताक्षर कर दिए।

~ रोहन शर्मा

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