राहुल गांधी |
राफेल डील पर न तो यूपीए सरकार न ही कांग्रेस पार्टी कभी पारदर्शी रही है। पहले डील करने में देर लगाना, बाद में उसे ठंडे बस्ते में डालना और फिर एयरक्राफ्ट का ऊंची कीमत पर डील करना। ये सारी बातें शुरू से ही कांग्रेस और सोनिया गांधी नियंत्रित यूपीए सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे थे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा तुलनात्मक रूप से बेहतर डील करने के बाद जिस प्रकार कांग्रेस पार्टी खासकर अज्ञानी राहुल गांधी हायतौबा मचा रहे है इससे यह शंका और मजबूत हुई है कि इस विरोध के पीछे कुछ न कुछ निहित स्वार्थ छिपा है। इस संदर्भ में कांग्रेस पार्टी के पूर्व नेता शहजाद पूनावाला के ट्वीट से पूर्व यूपीए सरकार की नीयत पर शंका सही साबित हुई है। शहजाद पूनावाला ने खुलासा किया है कि किस प्रकार राफेल डील को खत्म करने के लिए अमेरिकी रक्षा कंपनियों के साथ मिलकर इसके खिलाफ माहौल तैयार किया गया है?
अमेरिकी जंगी विमान निर्माता कंपनी मोदी के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए पानी की तरह बहा रही है पैसे
शहजाद पूनावाला ने अपने ट्वीट में अपने विश्वस्त सूत्र के माध्यम से बताया है कि किस प्रकार अमेरिकी रक्षा तथा जंगी विमान कंपनियों के लिए काम कर रहे दलालों ने राफेल डील को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है। कहा गया है कि इस डील को खत्म करने के लिए देश के कुछ नेताओं से लेकर वामपंथी न्यूज वेबसाइटों, बड़े पत्रकारों तथा एक्टविस्टों पर पानी की तरह पैसे बहाए गए हैं। अब जब राफेल डील को लेकर इतने बड़े खुलासे हुए हैं तो ऐसे में सरकार का भी दायित्व बनता है कि वह इसकी जांच कराए कि आखिर वे कौन लोग हैं जो अपने निहित स्वार्थ के लिए देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं? इसलिए शहजाद पूनावाला ने अपने ट्वीट में लिखा है कि मोदी सरकार को इस साजिश की जांच करानी चाहिए कि आखिर कौन लोग राफेल डील को खत्म करने के लिए इस प्रकार की देशविरोधी साजिश करने में लगे हुए हैं?
Source:Prominent middle man for US defence & fighter plane companies has apparently paid huge sums of money (courtesy his benefactors in US ) to netas, portals,journos & activists to scuttle #RafaleDeal - govt should inquire who is on their payrolls & trying to derail the deal— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) August 31, 2018
पूनावाला ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा है कि यह सूचना कहीं और से नहीं बल्कि अमेरिका स्थित स्रोत ने मिली है। अमेरिकी स्रोत का कहना है कि राफेल डील को खत्म करने के इस खेल में देश की ही शीर्ष नेता तथा कुछ अन्य लोग शामिल हैं जो फ्रांस के साथ हुई इस डील का विरोध कर रहे हैं, तथा इसे भारतीय सुरक्षा के खिलाफ बता रहे हैं। ये वही लोग हैं जो डासौल्ट की जगह एमएमआरसीए से रक्षा सौदा करने को बेताब हैं। ये वही लोग हैं जिनकी पहुंच अमेरिकी जंगी जहाज निर्माण कंपनियों तक पहुंच है। ये वहीं कंपनियां हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाने के लिए बेतहाशा पैसा खर्च कर रही हैं।
My sources in US tell me a top neta & some others who raise #RafaleDeal bogey in contravention to Indian Security interests met lobbyists & execs of US fighter jet manufacturers who were desperate to get MMRCA deal instead of Dassault - paid propaganda against @narendramodi ?? https://t.co/Mwncwo7Yrs— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) September 1, 2018
इस खुलासे के बाद अब कोई शक नहीं रह गया है कि जो लोग आज राफेल डील का विरोध कर रहे हैं या फिर उसमें भ्रष्टाचार के नाम पर मोदी सरकार को बदनाम कर रहे हैं कहीं न कहीं उनका अपना स्वार्थ आहत हुआ है। ध्यान रहे कि इस मामले में सबसे ज्यादा हायतौबा मचाने वालों में राहुल गाधी और पूर्व यूपीए सरकार के सबसे ताकतवर कैबिनेट मंत्री पी चिदंबरम आगे दिख रहे हैं। सवाल उठता है कि कहीं इन लोगों की संलिप्तता तो नहीं रही है? इसलिए सरकार को इस मामले को हल्के में नहीं लेना चाहिए। सरकार को इस मामले की जांच करनी चाहिए कि आखिर देश विरोध में कौन लोग शामिल हैं?