तेल की बढ़ती कीमत, तेल बांड और कांग्रेसी घोटाल

Oil Bond by congress
कांग्रेस द्वारा दिए गए आयल बांड की जानकारी देते हुए! 
आज तेल की बढ़ी हुई कीमतों पर कांग्रेस उसके सहयोगी दल तथा पूरा विपक्ष आक्रामक है और इसके विरुद्ध उन्होंने बंद का आवाहन किया है। उनका कहना है कि सरकार तेल की कीमतों को कम नहीं कर रही, टैक्स कम नहीं कर रही और सब्सिडी नहीं बढ़ा रही।

तो मैंने भी सोचा की आखिर ऐसा क्या कारण है कि मोदी सरकार ऐसा नहीं कर रही, आखिर पिछली सरकारें भी तो सब्सिडी देती थी, और अभी तो चुनाव भी आने वाले हैं। फिर भला मोदी सरकार ऐसा आत्मघाती कदम क्यों उठा रही है?  

जब खोजबीन शुरू की और तेल की कीमतों, भारत को तेल निर्यात करने वाले देशों और उनसे हुई लेनदेन के विषय में पढ़ना शुरू किया तो जो जानकारी मिली वो सच में हिला देने वाली थी। जिसे मैं सरल शब्दों में आप तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा हूँ की आखिर क्यों मोदी सरकार तेल पर सब्सिडी नहीं बढ़ा रही और टैक्स नही घटा रही?

सर्वप्रथम मैं आपको जनकारी दे दूं कि 2014 तक कांग्रेस सरकार अपने शासनकाल में ईरान से बिना पैसे चुकाए उधारी पर पर तेल लेती रही थी और लगभग 6.5 बिलियन डॉलर का बकाया बिल था। जब कांग्रेस सरकार सत्ता से बाहर हुई, और यह भुगतान अगली सरकार यानि मोदी नीत भाजपा सरकार को करना था।
सोनिया गांधी द्वारा उधार लिया तेल, जिसे मोदी ने चुकाया

मात्र यही नहीं! बल्कि अन्य तेल निर्यातक देशों को भी कांग्रेस तेल का भुगतान नहीं कर रही थी और कांग्रेस उन्हें तेल के मूल्य के बदले दो लाख करोड़ के ऑयल बांड्स जारी कर के गयी थी, जिसका ब्याज ही 70 हजार करोड़ बैठता है।

यदि आपको जानकारी नहीं है तो बता दें की आर्थिक विषमता की स्थिति में सरकारें तेल उत्पादक व् निर्यातक देशों से तेल लेकर उन्हें ऑयल बांड जारी करती हैं। इसका अर्थ होता है कि “उस ऑयल बांड की मैच्योरिटी के बाद सरकार उन्हें उस तेल की कीमत ब्याज सहित चुका देगी”।  

यहां पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि कांग्रेस अपने शासनकाल में भारतीय जनता को तेल बेचती रही और जनता से तेल की कीमत भी टैक्स सहित वसूलती रही, किंतु किसी भी तेल उत्पादक देश (जिनसे तेल खरीदा जा रहा था) को कांग्रेस सरकार उस तेल का भुगतान ही नहीं कर रही थी, बल्कि ऑयल बॉन्ड्स जारी करती जा रही थी।

अब प्रश्न यह उठता है कि जब कांग्रेस ने उधार में तेल लिया और जनता को टैक्स के साथ वह तेल बेच दिया, तथा जनता ने उस तेल की कीमत और टैक्स का नकद भुगतान किया, तो कांग्रेस सरकार ने वो पैसा तेल उत्पादकों को क्यों नहीं दिया? आखिर भारतीय जनता द्वारा चुकाया गया वह 6.5 बिलियन डॉलर और दो लाख करोड़ रुपया कहां गया?

वास्तविकता ये है कि गांधी परिवार और कांग्रेस ने इतना बड़ा घोटाला कर के रखा हुआ था और भारत की जनता का पैसा डकारे जा रही थी। देश व् अर्थव्यवस्था कर्ज के तले दबी जा रही थी, और इस परिस्थिति में भाजपा की मोदी सरकार के पास टैक्स कम करने अथवा सब्सिडी देने का विकल्प ही नहीं था। क्योंकि कांग्रेस सरकारी बैंकों की 80% पूंजी अपने करीबियों को लोन के रूप में बाँट गयी थी, जो आज NPA बन गया है। 2G, CWG, Coalgate, एंट्रिक्स-देवास, थोरियम, गोल्ड इम्पोर्ट, ऑगस्टा वेस्टलैंड, नेवी टैंकर, एम्ब्रॉयर जैसे अनगिनत घोटाले कर कांग्रेस देश का 34 लाख करोड़ रुपया डकार गयी थी और देश का खजाना खाली था।

मोदी नीत भाजपा सरकार ने ईरान व् अन्य तेल निर्यातक देशों का पैसा चुकाना शुरू कर दिया है किंतु अभी भी काफी पैसा चुकाना बाकी है। भारत कि जनता को इस सत्य से अवगत कराने की आवश्यकता है कि तेल की बढ़ती कीमतों पर टैक्स कम करना अथवा सब्सिडी देना मोदी सरकार के लिए बहुत कठिन है।

क्योंकि मोदी सरकार को न केवल अर्थव्यवस्था सम्भालनी है, विकास दर को बनाये रखना है। जिससे रोजगार सृजन होता रहे, बल्कि महंगाई कम रखनी है। जिससे आम जनमानस को समस्या न हो, तथा कांग्रेस द्वारा लिया गया लाखों करोड़ों का उधार भी ब्याज समेत चुकाना है।

ये पाप और घोटाले कांग्रेस के हैं जिनकी क्षतिपूर्ती भाजपा सरकार को करनी पड़ रही है और विरोध झेलना पड़ रहा है।

🇮🇳Rohan Sharma🇮🇳
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