माईनो मीडिया और कांग्रेस का षडयंत्र: 900 चूहे खा कर बिल्ली हज को चली


Abhisar Sharm and Punya Prasun Vajapai
Abhisar Sharma and Punya Prasun Vajapai
मई 2004 में कांग्रेसी नेतृत्व वाले यूपीए गठबन्धन की सरकार बनी थी। इसके ठीक महीने भर बाद दूरदर्शन के तत्कालीन मैनेजिंग एडीटर दीपक चौरसिया समेत दूरदर्शन के 65 रिपोर्टरों एडीटरों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। लगभग 5 महीने बाद, 2 अक्टूबर 2004 को हिन्दुस्तान टाइम्स अखबार के 372 मीडिया कर्मियों को निकाला गया था। यह UPA शासनकाल की शुरुआत थी। यह पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के शानदार कांग्रेसी दौर की शर्मनाक शुरुआत थी।

यह दौर यूपीए के 10 वर्षीय शासनकाल के दौरान कितनी दबंगई से चला, इसका साक्ष्य तब मिला जब 2013 में देश के स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त से ठीक पहले IBN7 न्यूज चैनल के 300 से अधिक रिपोर्टरों, एडीटरों और कैमरामैनों को एक साथ नौकरी से निकाल दिया गया था। इसका कारण बहुत साफ था। अन्ना आन्दोलन के दौरान IBN7 के तत्कालीन मैनेजिंग एडीटर आशुतोष और CNN-IBN के तत्कालीन मैनेजिंग एडीटर राजदीप सरदेसाई तथा उसकी बीबी सागरिका ने केजरीवाल से अपनी निकटता घनिष्ठता के कारण IBN7 की खबरों और बहसों के द्वारा तत्कालीन कांग्रेस गठबन्धन सरकार यूपीए के खिलाफ जबरदस्त माहौल बनाया था। परिणामस्वरूप मालिकों पर चले सरकारी लट्ठ के कारण 300 पत्रकारों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था।

यूपीए शासनकाल के शुरुआती और अन्तिम वर्ष के दौरान की यह दो घटनाक्रम बताते हैं कि यूपीए शासनकाल के दौरान प्रेस की आज़ादी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कितनी सुरक्षित संरक्षित रही थी?

आज उपरोक्त  दोनों प्रकरणों का उल्लेख इसलिए क्योंकि आज लोकसभा में कांग्रेस का नेता मल्लिकार्जुन खड़गे अपनी छाती इसलिए कूट रहा था कि ABP न्यूज से अभिसार शर्मा और पुण्य प्रसून बाजपेयी को निकाल दिया गया है। खड़गे यह आरोप लगाते हुए सरकार के खिलाफ अपनी छाती कूट रहा था कि ABPन्यूज ने दोनों को इसलिए निकाल दिया क्योंकि वो दोनों सरकार के खिलाफ खबर दिखाते थे।

अभिसार शर्मा ने हत्या को बलात्कार बार-बार बताया
लेकिन अपने इस #छाती_कूट प्रदर्शन के दौरान  खड़गे बहुत शातिर तरीके से यह छुपा गया कि लखनऊ के एक अत्यंत प्रतिष्ठित एवं सम्भ्रांत परिवार की पुत्री की हत्या की घटना की खबर में अभिसार शर्मा ने किशोरी के साथ बलात्कार किये जाने की खबर अपने मन से जोड़ दी थी। जबकि घर वालों द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट, पुलिस जांच तथा पोस्टमॉर्टम की मेडिकल जांच रिपोर्ट में ऐसी किसी घटना का कोई चिन्ह तक नहीं मिला। अपना यह झूठ अभिसार शर्मा लगातार 4-5 दिन तक दिखाता बताता रहा। अपनी मृत पुत्री की हत्या की खबर के साथ किये जा रहे इस अश्लील मीडियाई आचरण के खिलाफ घरवालों ने ABP न्यूज और अभिसार शर्मा को चेताया था। पर वो नहीं माना अतः मृत किशोरी के घरवालों ने अभिसार शर्मा सहित ABP न्यूज के मालिकों के खिलाफ पुलिस थाने में गम्भीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करा दी थी।
वीडियो: अभिसार शर्मा ने हत्या को रेप केस बनाकर खूब प्रचारित किया !


परिणामस्वरूप चैनल के मालिकों के हाथ पांव फूल गए थे और उन्होंने अभिसार शर्मा से तथा मैनेजिंग एडिटर से उसकी खबर के सबूत मांगे थे। जो वो दे नहीं सका था। इसलिए उसे निकाला गया।

क्या था संस्कृति हथ्याकांड और अभिसार का फेक न्यूज?
लखनऊ में 22 जून 2018 को हुई 17 साल की एक लड़की की हत्या कर दी गयी, जिसका नाम संस्कृति राय था। संस्कृति राय लखनऊ के पोलिटेक्निक कॉलेज में द्वितीय वर्ष की छात्रा थी। पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया स्थित फेफना के वकील उमेश राय की 17 वर्षीय पुत्री संस्कृति राय का शव एक झाड़ी में मिला था। मोदी और योगी सरकार से बेइंतहां नफरत करने वाले इस पत्रकार ने फैक्ट चेक किए बिना, इस पर फेसबुक लाइव कर दिया और यह बता डाला कि संस्कृति राय के साथ बलात्कार हुआ था। जबकि संस्कृति राय की केवल हत्या हुई थी, न कि बलात्कार।


अभिसार ने योगी सरकार को घेरने के लिए जोर-शोर से संस्कृति राय के बलात्कार के झूठ को फैलाया। संस्कृति राय के परिवार ने अभिसार शर्मा के ऐसे फेक और अमानवीय कृत्य के खिलाफ कानून का सहारा लिया। संस्कृति राय के परिजन ने इस मामले में लखनऊ पुलिस में मानसिक प्रताड़ना का मामला दर्ज कराते हुए इसमें एबीपी न्यूज एंकर अभिसार शर्मा को आरोपी बनाया।

संस्कृति राय के परिवार की शिकायत पर ही लखनऊ पुलिस ने अभिसार शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है कि वह यह बताए कि किन तथ्यों के आधार पर उसने बलात्कार की झूठी खबर को फैलाया ? अभिसार शर्मा ने एक नहीं, बल्कि कई वीडियो बनाकर संस्कृति राय और उसके परिवार को बदनाम किया और इसके बहाने योगी सरकार और लखनऊ पुलिस को जमकर कोसा। अभिसार लगभग हर वीडियो में संस्कृति राय के बलात्कार की बात दोहराता रहा। एबीपी न्यूज से जुड़े सूत्र बताते हैं कि इस बारे में नोटिस मिलने पर जब चैनल प्रबंधक ने अभिसार से इस बारे में सबूत पेश करने को कहा तो वह सबूत पेश नहीं कर पाया और टालमटोल करने लगा।

लोकगायिका मालिनी अवस्थी के खिलाफ भी फेकन्यूज चला चुका है अभिसार शर्मा  
इससे ठीक पहले 30 जून को अभिसार शर्मा ने इसी तरह फेक न्यूज फैलाकर लोकगायिका मालिनी अवस्थी, उनके पति अविनाश अवस्थी एवं उप्र सरकार को बदनाम करने का प्रयास किया था। यही नहीं, उसने ट्वीटर पर बकायदा मालिनी अवस्थीजी के खिलाफ अभियान चलाया। मालिनी अवस्थीजी ने ट्वीट कर केवल यह सवाल उठाया था कि ‘कठुआ बलात्कार पर प्लेकार्ड उठाने वाले मंदसौर पर चुप क्यों है?’ इस सवाल को सांप्रदायिकता का रंग देते हुए अभिसार ने पद्म सम्मान से सम्मानित विश्व प्रसिद्ध लोकगायिका व उनके परिवार के खिलाफ अनाप-शनाप आरोप लगाते हुए ट्वीटर से लेकर फेसबुक लाइव के जरिए अभियान चलाया। उनके खिलाफ अपने चैनल पर फेक न्यूज भी प्रसारित किया।

सूत्र बताते हैं कि इस बारे में मालिनी अवस्थीजी ने खुद फोन कर एबीपी न्यूज से अपनी शिकायत दर्ज कराई थी और कहा था कि खबरों का या तो सबूत दें या फिर कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहें। प्रबंधक ने जब अभिसार से खबरों का सबूत मांगा तो उसके पास कुछ नहीं मिला, जिससे अपमानित चैनल ने तत्काल न्यूज को हटा लिया।


उन्नाव रेप केस पर भी फेक न्यूज फैला चुका है अभिसार
सूत्र बताते हैं कि इसके बाद चैनल प्रबंधक ने अभिसार के द्वारा फर्जी ट्वीट कर बेवजह विवाद पैदा पर भी रोक लगा दिया। यही कारण है कि 30 जून के बाद से अभिसार शर्मा ने एक भी ट्वीट नहीं किया है। उन्नाव रेप केस में भी उप्र सरकार और भाजपा को बदनाम करने के लिए अभिसार शर्मा ने फर्जी न्यूज और ट्वीट फैलाया था, जिस पर सीबीआई ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इनके फेक न्यूज को एक्सपोज किया था।  

अभिसार शर्मा द्वारा लगातार फेक न्यूज फैलाने और प्रबंध संपादक मिलिंद खांडेकर द्वारा उसका पक्ष लिए जाने को प्रबंधकों ने बेहद गंभीरता से लिया और उन्हें पहले कारण बताओ नोटिस दिया, लेकिन जब वह जवाब नहीं दे पाए तो उन्हें इस्तीफा देने को कह दिया गया।

वैसे भी अभिसार शर्मा और उसकी पत्नी सुमोना सेन भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं। दोनों से सीबीआई और आयकर विभाग पूछताछ कर चुकी है। अभिसार पर फेक न्यूज और भ्रष्टाचार का फंदा कसता देख, चैनल ने अपने आप को इससे अलग करते हुए उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया।

फेकन्यूज के चीयरलीडर सागरिका घोष और विनोद कापड़ी जैसों की बौखलाहट!

अब एबीपी न्यूज से निकाले जाने के बाद अभिसार शर्मा के पक्ष में माइनो गिरोह के पेटिकोट पत्रकार शहीद होने का स्वांग रच रहे हैं। कई तरह के आरोपों से घिरे विनोद कापड़ी हों या सागरिका घोष, ये लोग इसे अघोषित अपातकाल बता कर मोदी-योगी सरकार को बदनाम करने के कुचक्र में लग चुके हैं। लेकिन इन पेटिकोट पत्रकारों के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि फेक न्यूज फैलाने वाले अभिसार शर्मा ने प्रबंधक के पास अपनी खबर के पक्ष में कोई सबूत पेश क्यों नहीं किया? वैसे भी जिसे गेहूं और धान का अंतर तक पता नहीं है, वह केवल फेकन्यूज मेकर हो सकता है, पत्रकार नहीं।

पुण्य प्रसून बाजपेयी का क्रांतिकारी
इसी तरह पुण्य प्रसून बाजपेयी के खिलाफ झूठी खबर की आधा दर्जन से अधिक ऐसी शिकायतें थीं। जिनके सबूत जब उससे मांगे गए तो वो एक भी सबूत या तथ्य नहीं दे पाया। परिणामस्वरूप अपनी खाल बचाने के लिए ABP के मालिकों ने उसे भी बाहर का रास्ता दिखा दिया।  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अंधविरोधी पुण्य प्रसून वाजपेयी ने पीएम को बदनाम करने के लिए हाल ही में एक फेक न्यूज चलाया था, जिसे सूचना प्रसारण मंत्रालय ने बेहद गंभीरता से लिया और एबीपी न्यूज को इस बारे में स्पष्टीकरण देने को कहा। इस बारे में प्रबंधक ने जब पुण्य से जवाब मांगा तो इस फेक न्यूजमेकर के पास भी कोई जवाब नहीं था। पीएम मोदी के खिलाफ झूठ फैलाने वाले ABP न्यूज और एंकर पुण्य प्रसून वाजपेयी को ग्रामीण महिला ने लताड़ा था।

वीडियो: पुण्य पासून वाजपेयी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ झूठ बोला

जब पुण्य प्रसून का झूठ पकड़ा गया तो यह और इसके चमचों ने यह अफवाह फैलाना शुरु कर दिया कि उसके रात नौ बजे वाले शो को सेंसर करने के लिए मोदी सरकार सेटेलाइट का सिग्नल रात 9 बजे कमजोर कर देती है। यह नौकरी से निकाले जाने से पहले शहीद होने का स्वांग था, जो पुण्य प्रसून और उसका गिरोह रच रहा था! अंदरूनी सूत्र बता रहे हैं कि पुण्य प्रसून से भी इस्तीफा लिया जा चुका है। शीघ्र ही इसकी सूचना भी बाहर आ जाएगी!

बड़े पैमाने पर फेकन्यूज मेकरों के चेहरे से नकाब उतरने लगे हैं, इसलिए ये चिल्ला रहे हैं!
दरअसल मेनस्ट्रीम मीडिया में बैठे ‘माइनो माफिया’ गिरोह के ‘पेटिकोट’ और ‘पीडी पत्रकार’ गांधी परिवार की जय-जय करने के लिए बड़े पैमाने पर फेक न्यूज का कारोबार चलाते रहे हैं। अब सोशल मीडिया के कारण इनका भेद खुलने लगा है, जिसके बाद से इनमें खलबली है। इससे पूर्व आउटलुक अंग्रेजी पत्रिका ने संघ के खिलाफ बच्चा बेचने का फेक न्यूज फैलाया था, और जब एक स्वयंसेवक ने इसके खिलाफ अदालत में मुकदमा दर्ज कराया तो अभिव्यक्ति का ढिंढोरा पीटा गया। सबूत नहीं होने के कारण तब भी प्रबंधकों ने आउटलुक के संपादक को निकाल दिया था।

वेब समाचार द वायर, द प्रिंट, द क्वींट, कारवां का गिरोह
यही हाल ‘माइनो माफिया’ गिरोह के वेब द वायर, द प्रिंट, द क्वींट, कारवां जैसे वेब का है, जिनका पूरा मैकेनिज्म ही फेक न्यूज के जरिए मोदी सरकार को बदनाम कर सोनिया-राहुल के लिए रास्ता तैयार करना है। सिद्धार्थ वरदराजन के द वायर ने फर्जी आरटीआई के जरिए आयुष मंत्रालय में मुसलमानों को नौकरी नहीं देने का फेकन्यूज फैलाया था, जिसमें रिपोर्टर को जेल की सैर भी करनी पड़ी थी। इसी वेब ने हाल में टर्नओवर को प्रोफिट बताकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह को बदनाम करने का प्रयास किया था, जिसके कारण उसे अदालत में मानहानि का मुकदमा झेलना पड़ रहा है। सच तो यह है कि इस दौर में बड़े पैमाने पर फेकन्यूज मेकरों के चेहरे से नकाब उतरने लगे हैं, इसलिए ये बिलबिला रहे हैं!  

लेकिन इन दोनों (पुण्य प्रसून वाजपेयी और अभिसार शर्मा के) झूठों के समर्थन में खड़गे आज आगबबूला होकर जब  कंगारुओं की तरह कूद रहा था, तब दोनों झूठों की उपरोक्त करतूतों पर श्मशानी सन्नाटा साधे रहा तथा 2004 और 2013 में नौकरी से निकाले गए सैकड़ों रिपोर्टरों एडीटरों की घटनाओं को ऐसे भूल गया मानो वह घटनाएं ईसा पूर्व घटी थीं।

सन्दर्भ- सतीशचंद्र मिश्रा स्पीकइण्डियाडेली

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