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जम्मू के सुंजवान स्थित रोहिंग्या कैंप की जुग्गी झोपड़ियों से संचालित संदिग्ध हवाला रैकेट पर पुलिस ने छापा मारा और वहां ₹30,000,00 बरामद हुए। पुलिस की रेड शुरू होते ही आरोपी रोहिंग्या मुस्लिम भाग खड़े हुए, जिसमे बाद में 3 लोगों को हिरास्त में लिया गया। इस केस में हवाला के अलावा नारकोटिक्स ट्रेड की भी बात निकल कर आ रही है।
अभी कुछ दिन पूर्व खबर आयी थी कि रोहिंग्या मुस्लिम जम्मू में नमाज के बाद लड़कियों की मंडियां लगवाते हैं और नाबालिग लड़कियों को बेचा खरीदा जाता है और इसमें गिरफ्तारियां भी हुई थी। इसके अलावा जम्मू में रोहिंग्याओं के आने के बाद अपराध का ग्राफ बहुत तेजी से बढ़ा है।
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सुंजवान आतंकी हमले में जो पाकिस्तानी आतंकी भारत में आए थे, उन्हें 15 दिनों तक आश्रय इन्ही रोहिंग्याओं की झोपड़ी में दिया गया था। जिससे स्पष्ट हो जाता है कि इनके तार आतंकवादियों और आतंकी संगठनों से भी जुड़े हुए है जो भारत की आंतरिक सुरक्षा हेतु एक खतरे का संकेत है।
विडंबना देखिए कि एक आम भारतीय नागरिक कश्मीर में कहीं नहीं बस सकता। किंतु ये अवैध रोहिंग्या घुसपैठिये म्यांमार से 1400 किलोमीटर दूर चलकर भारत में घुस आए हैं, और देश के संवेदनशील मिलिट्री बेसों के निकट अवैध रूप से बस भी गए है। और अब यह हमारे ही देश में अवैध गतिविधियों में लिप्त है। इनकी आपराधिक हरकतें समाज को, नागरिकों को, और देश को हानि पहुंचा रहे हैं। इसीलिए यह प्रश्न उठता है कि सुरक्षा की दृष्टि से ये घुसपैठिये रोहिंग्या अभी भी कश्मीर में विशेषकर जम्मू में क्यों है?
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मैं जानता हूं कि कोर्ट ने इनकी डिपोर्टेशन पर स्टे लगा रखा है, किंतु कोर्ट को समझने की आवश्यकता है की राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है। और उससे समझौता नहीं किया जा सकता। अवैध घुसपैठियों के मानवअधिकारों के नाम पर अपने ही देश के नागरिकों कि सुरक्षा से समझौता व् उनके अधिकारों का हनन अस्वीकार्य है ।
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