कांग्रेस द्वारा देश और सैनिकों का अपमान |
कांग्रेस को सत्ता से गए हुए 4 सालों से अधिक का समय हो गया है, पर आज भी कांग्रेस पर एक के बाद एक बड़े-बड़े खुलासे होते है। इनके कारनामो की लिस्ट ही इतनी बड़ी है की ख़त्म ही नहीं होती। 1999 में पाकिस्तान से भारत का युद्ध हुआ था, जिसे हम कारगिल युद्ध के नाम से भी जानते है। इस युद्ध में सैंकड़ो भारतीय सैनिको ने अपना बलिदान देकर कारगिल पर फिर तिरंगा फहराया था।
1999 के बाद से ही जुलाई में हर साल संसद और देश में बलिदानियों की याद और भारत की जीत पर कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। 1999 के बाद से 2003 तक देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार रही, हर साल संसद में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता रहा। पर जैसे ही मई 2004 में कांग्रेस के पास सत्ता आयी, कांग्रेस ने कारगिल विजय दिवस मनाना बन्द कर दिया।
Did u know 2004-2009 Cong led UPA did not celebrate or honor #KargilVijayDiwas on July26 till I insistd in #Parliament #ServingOurNation pic.twitter.com/kDEg4OY1An— Rajeev Chandrasekhar (@rajeev_mp) July 25, 2017
जुलाई 2009 में NDA के राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने इस पर आपत्ति दर्ज करवाई, और हंगामा हुआ। कांग्रेस के इस कारनामे को अधिक तूल न मिले, इसी कारण 2009 के बाद से कांग्रेस ने कारगिल विजय दिवस संसद में मनाना शुरू कर दिया। 5 साल तक इस देश की संसद और सरकार ने कारगिल के शहीदों का सम्मान ही नहीं किया।
ये कारनामा कर कांग्रेस ने पाकिस्तान के प्रति अपनी वफादारी को निभाई। सोनिया अघोषित प्रधानमंत्री और मनमोहन रबर स्टाम्प प्रधानमंत्री बने। संसद में कारगिल विजय दिवस के कार्यक्रम पर ही बैन लगा दिया गया। यह जानकर चौंक जाने वाली बात है कि 2004 से लेकर 2009 तक भारत की संसद में कारगिल के बलिदानियों का सम्मान ही नहीं किया गया, उनके याद में मनाया जाने वाला कारगिल विजय दिवस मनाया ही नहीं गया।