यादें: जब अनजान नरेंद्र मोदी से प्रभावित हुई थी रेलवे की प्रशिक्षु अधिकारी लीन शर्मा

श्री नरेंद्र मोदी आरएसएस कार्यकर्तों के साथ

"A Train Journey and Two Names to Remember"

यह स्टोरी 1 जून 2014 में अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' में छपी थी। स्टोरी में गुजरात के दो नेताओं की चर्चा है। करीब 28 साल पहले की एक 'रेल यात्रा' का जिक्र है जिसमें इन दो नेताओं ने अपने विनम्र स्वभाव से दो अजनबी महिलाओं पर ऐसी गहरी छाप छोड़ी कि वो आज भी इस ट्रेन यात्रा को नहीं भूलती हैं। इंडियन रेलवे (ट्रैफिक) सर्विस की वरिष्ठ अधिकारी लीना शर्मा ने द हिंदू अखबार में लिखे एक लेख में अपनी 90 की दशक की अहमदाबाद यात्रा का जिक्र करते हुए लिखा है-

“मैं और मेरी दोस्त ट्रेन द्वारा लखनऊ से दिल्ली जा रहे थे। दो सांसद भी उसी बोगी में यात्रा कर रहे थे। सब कुछ तो ठीक था लेकिन उनके साथ यात्रा कर रहे 12 लोग जो बिना टिकट के थे, उनका व्यवहार बड़ा खौफनाक था। उन्होंने हमें हमारी सीट से उठने पर मजबूर कर दिया और वहां बैठकर अपना सामान रखकर वो अश्लील कमेंट करने लगे।”

“हमें गुस्सा भी आ रहा था और डर भी लग रहा था। यह एक भयावह रात थी हमें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें? ऐसा लग रहा था कि सभी यात्री गायब से हो गए हैं। किसी तरह हम अगली सुबह दिल्ली पहुंच गए। फिर हमें अहमदाबाद जाना था लेकिन हम भावनात्मक रूप से कमजोर हो गए थे। मेरी दोस्त को गहरा आघात लगा था और उसने निर्णय कर लिया था कि वह अब अहमदाबाद नहीं जाएगी और दिल्ली ही रहेगी। मैंने निर्णय ले लिया कि मैं जाऊंगी और एक अन्य बैचमेट (उत्पलप्रना हजारिका, जो रेलवे बोर्ड में अभी एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं) मेरे साथ हो गई थी। हम रात को अहमदाबाद की ट्रेन में सवार हो गए और इस बार हमारे पास कन्फर्म टिकट नहीं था। हमारे पास इतना समय नहीं था कि हम दूसरा टिकट खरीद सके। हम प्रतीक्षा सूची में थे।”

लीना शर्मा

हम फर्स्ट क्लास बोगी के टीटी से मिले और उसने उसे अपनी परेशानी के बारे में बताया, जिस पर उसने मदद करने का भरोसा दिया। कुछ देर में टीटीई हमें एक कूपे की तरफ ले गया जहां सफेद खादी कुर्ता-पायजामा पहने दो नेता बैठे थे। टीटीई ने हमें कहा कि "ये अच्छे लोग हैं और इस रूट के नियमित पैंसेजर हैं, डरने की बात नहीं है।" दोनों ही व्यवहारिक रूप से अच्छे लग रहे थे लेकिन पिछली रात के अनुभव से डर भी लग रहा था। उन्होंने अपने आप का परिचय गुजरात के दो भाजपा नेताओं के रूप में दिया। उन्होंने अपना नाम बताया था लेकिन हम जल्दी ही उनका नाम भूल गए। हमने भी उन्हें अपने बारे में बताया और कहा कि हम असम से रेलवे के दो प्रशिक्षु अधिकारी हैं। बातचीत का सिलसिला चला तो इतिहास से लेकर राजनीति जैसे मुद्दों पर बात हुई।”

लीना अपने लेख में लिखती हैं कि, “उन दो नेताओं में जो सीनियर थेे वह काफी जोशीले स्वभाव केे थेे जबकि दूसरेे जवान नेता ज्यादातर चुप थेे, लेकिन उनकी बॉडी लैंग्वेज से लग रहा था कि हम जो चर्चा कर रहे हैं वह अच्छी तरह से उसे सुन रहेे हैं। तभी मैंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत का जिक्र किया तो वह अचानक से बोलेे, "आप कैसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जानती हैं?" तब मैंने उन्हें बताया कि मेरे पिता ने मुझे उनके बारे में बताया था।”
The Hindu में लीना शर्मा द्वारा लिखा गया लेख

इन दो नेताओं ने हमें यह कहते हुए गुजरात भाजपा ज्वाइन करने का न्योता भी दिया लेकिन हमने हंसते हुए कहा कि हम असम से हैं। तब उन्होंने कहा हमें कोई दिक्कत नहीं हैं, हम आपके टैलेंट की कद्र करते हैं। तभी डिनर आ गया और भोजन की चार शाकाहारी थालियां आई। सबने भोजन किया और सभी का बिल उस नौजवान ने चुकता किया। तभी टीटीई आया और उसने कहा कि ट्रेन में सीट नहीं हैं और मैं आपके लिए सीट की व्यवस्था नहीं कर सकता। तभी दोनों आदमी अपनी सीट से खड़े हो गए कहा कोई बात नहीं हम आपके लिए व्यवस्था कर देते हैं। दोनों ने अपनी सीट हमें दे दी और खुद ट्रेन के फर्श पर अपनी चादर बिछाकर सो गए।”

यह कहानी लिखते हुए लीना शर्मा लिखती हैं “कैसा विपरीत उदाहरण था, पिछली रात दो नेताओं के साथ हमारी यात्रा कितनी भयावह रही था जबकि यह यात्रा यादगार हो गई थी। अगली सुबह जब ट्रेन अहमदाबाद पहुंची तो दोनों ने हमसे किसी भी परेशानी के लिए मदद करने का आश्वासन दिया। वरिष्ठ नेता ने हमसे कहा कि किसी भी तरह की परेशानी हो तो हमारे दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले हैं। जबकि दूसरे व्यक्ति ने हमसे कहा, "मेरे पास कोई पक्का घर तो है नहीं कि मैं आपको आमंत्रित कर सकूं लेकिन आप उनका आमंत्रण स्वीकार कर सकती हैं।"

लीना शर्मा आगे लिखती है “ट्रेन के रूकने से पहले मैंने अपनी डायरी निकाली और फिर से उनका नाम पूछा, मैंने तुरंत दोनों का नाम लिखा: उन दोनों में जो सिनियर नेता थे उनका नाम था शंकर सिंह वाघेला और जो नौजवान नेता थे उनका नाम था नरेंद्र मोदी

लेखिका लीना शर्मा ने इस घटना का जिक्र 1995 में पहली बार असम के एक अखबार के लिए लिखे अपने लेख में किया था। उस वक्त लीना ने गुजरात से ताल्लुक रखने वाले दो अज्ञात राजनेताओं के नाम यह लेख लिया था और लीना को इस बात का जरा सी भी आभास नहीं था कि वो जिन दो राजनेताओं का जिक्र अपने लेख में कर रही हैं, वो आने वाले दिनों में मशहूर हो जाएंगे। वाघेला 1996 में गुजरात के सीएम बने जबकि मोदी 2001 से लगातार 2014 तक गुजरात के सीएम बने और आज वो देश के पीएम हैं।

(लेखिका फ़िलहाल General Manager of The Centre for Railway Information System Indian Railway New Delhi में कार्यरत है।)

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