भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार 5 शहरी नक्सलियों के बारे में सब कुछ जाने, कैसे पकड़ा पुलिस ने?

भीमकोरेगाव का हिंसक प्रदर्शन

पुणे पुलिस ने इसी वर्ष पुणे के भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में पांच वरिष्ठ माओवादी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया है। 6 जून 2018, बुधवार, सुबह 5 बजे अर्बन नक्सल की पूरी टीम पर एक साथ धावा बोलते हुए इन सब को गिरफ्तार कर लिया गया है, भारत के इतिहास में आजतक कभी भी इतने बड़े माओवादी नेताओं की गिरफ्तारी एक साथ नहीं हुई है। आइये इन सभी के बारे में हम आपको विस्तृत जानकारी देते हैं।

भीमा कोरेगाँव की रैली एलगार परिषद का आयोजक सुधीर धावले
सुधीर धावले
एलगार परिषद का आयोजक सुधीर धावले, रिपब्लिकन पैंथर्स जाति अंटाची चळवळ का नेता है। इस संगठन का संस्थापक सुधीर धावले ही है। उसने ही भीमा कोरेगांव में एलगार परिषद रैली का आयोजन किया था।

भीमा कोरे गाँव में हुए युद्ध की दो सौवीं वर्षगांठ के अवसर पर यह रैली का आयोजन किया गया था। शौर्यादिन प्रेरणा अभियान और कबीर कला मंच से धावले का बहुत निकट संबंध है। इन दोनों मंचों का एलगार परिषद आयोजन में बड़ी भूमिका थी। धावले मराठी पत्रिका विद्रोही का संपादक भी है। सुधीर धावले दलित एक्टिविस्ट है। उसका संगठन रिपब्लिकन पैंथर्स जाती अंटाची चळवळ दलित एक्टिविज्म का संचालक है। धावले ने रेडिकल अम्बेडकर नाम से एक आंदोलन भी खड़ा किया है।

सुधीर धावले 2011 में माओवादी हिंसा से जुड़े होने के आरोप में जेल भी गया था। किंतु 2014 के आरम्भ में सभी अपराधों से बरी हो गया था। धावले का एलगार परिषद आयोजन में बहुत सक्रिय भूमिका थी और माओवादी हिंसा से लगातार इसका संबंध रहा है।

भीमा कोरेगांव की हिंसा का मास्टरमाइंड माओवादी अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग
सुरेंद्र गाडलिंग
नागपुर से अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग और प्रोफेसर सोमा सेन को पुणे पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। यह वकील गाडलिंग ही भीमा कोरे गाँव की टीस देने वाली दर्दनाक हिंसा का मास्टरमाइंड था। 31 जनवरी 2018 को भीमा-कोरेगांव के युद्ध के द्विशतकीय आयोजन के बहाने महाराष्ट्र को हिंसा की आग में झोंक देने वाला कोई और नहीं वरण यह अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग ही था।

इंडियन असोसिएशन ऑफ पीपुल्स लायर्स (IAPL) का संचालन करता था गाडलिंग। अधिवक्ता गाडलिंग सभी शीर्ष माओवादियों के केस लड़ता था। वह दिल्ली के रामलाल आनंद कालेज के पूर्व प्रोफेसर शीर्ष माओवादी नेता जीएन साईबाबा का भी वकील था। सुधीर धावले का केस भी यही लड़ता था। अनेक माओवादियों को कानूनी सहयोग देने वाला यह वकील बहुत ही टॉप माओवादी ऑपेरेटिव था।

अर्बन माओवादियों का एक मजबूत चेहरा था अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग। इसके असामाजिक माओवादी गतिविधियों में सहयोगी थे दलित नेता रिपब्लिकन पैंथर सुधीर धावले, नारी आंदोलनकारी और रिपब्लिकन पैंथर हर्षाली पोतदार, कबीर कला मंच के आंदोलनकारी रमेश गायचोर, ज्योति जगताप, सागर गोरखे, रुपाली जाधव एवं धावले ढेंगले। इन सभी के घर पर पुणे पुलिस ने 17 अप्रैल को प्रातः 5 बजे छापा मारकर इनके लैपटॉप, कम्प्यूटर, हार्ड डिस्क, पेन ड्राइव, मेमरी कार्ड, डीवीडी इत्यादि सारे इलेक्ट्रॉनिक गजट जब्त कर लिया था।

गढ़चिरौली के जंगली माओवादियों का आका महेश राउत
महेश राउत
पूर्वी नागपुर से गिरफ्तार महेश राउत जंगल में कार्यरत माओवादियों और शहरी माओवादियों के बीच एक मजबूत लिंक का काम करता था। जंगल के माओवादियों को शहर से जरूरी सूचना भेजना, दिशा निर्देश देना, उनको हथियार, पैसे इत्यादि से सहायता करना, मैन पावर सप्लाई करना, योजना बनाने में सहायता करना, उनको आइडियोलॉजीकल फीडबैक देना, ऑपरेशंस में सहायता करने से लेकर अनेक प्रकार की सहायता करता था।

यह विगत अनेक वर्षों से गढ़चिरौली के जंगलों में सक्रिय था। यह PMRD (प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास योजना) का फेलो था। इस पद के बहाने महेश गढ़चिरौली के जंगलों में घुमा करता था। और माओवादी ऑपेरेटिव चलाता रहता था।

अप्रैल 2013 में कोइनवारशी गाँव में दो माओवादी गिरफ्तार हुए। उन दोनों ने बताया कि महेश राउत और हर्षाली पोतदार उनको सारा कुछ बताते हैं और दिशा निर्देश देते रहते हैं। ज्ञात हो कि हर्षाली पोतदार, सुधीर धावले के रिपब्लिकन पैंथर की सक्रिय कार्यकर्ता है। गिरफ्तार दोनो माओवादियों ने बताया कि यही दोनो उन्हें बड़े माओवादी नेताओं से जंगल में मिलाते हैं। इस बयान के आधार पर महेश राउत और हर्षाली पोतदार को अप्रैल 2013 में गिरफ्तार किया गया था। किंतु साधारण पूछताछ करके इन दोनो को पुलिस द्वारा छोड़ दिया गया था।

आजकल महेश राउत गढ़चिरौली से नागपुर शिफ्ट हो गया था। वह पूर्वी नागपुर में रहता था जहाँ से उसकी गिरफ्तारी हुई है। पिछली बार पुलिस द्वारा छोड़ दिये जाने पर वह निश्चिन्त हो गया था लेकिन बचने की दृष्टि से वह नागपुर शिफ्ट हो गया था। अब उसके खिलाफ उसके माओवादी गतिविधियों में संलिप्त होने के पक्के साक्ष्य हाथ लगे हैं पुणे पुलिस को। उन्हीं साक्ष्यों के आधार पर उसकी गिरफ्तारी की गई है।

माओवादियों का अंतररार्ष्ट्रीय टॉप ऑपेरेटिव रोना विल्सन
रोना विल्सन
इसकी गिरफ्तारी मुनिरका डीडीए फ्लैट्स से हुई। जीएन साईं बाबा की गिरफ्तारी के उपरांत माओवाद का सारा काम सम्हाल रहा था जेनएयू का विद्यार्थी रहा केरल निवासी रोना विल्सन। रोना विल्सन ही माओवादियों की ट्रांसफर, पोस्टिंग, हथियार सप्लाय से लेकर धन की व्यस्था, आईडीयोलॉजिकल सपोर्ट, ट्रेनिंग के साथ साथ प्रोपेगेंडा और नैरेटिव्स को चलाने का काम करता था। यही रोना विल्सन जेएनयू के प्रतिबंधित छात्र संगठन डीएसयू का नेता था। जेनएयू के आजादी गैंग का सुप्रीम बॉस था यह रोना विल्सन।

अर्बन माओइस्ट फ्रंट को भी यही रोना विल्सन चलाता था। शहरी माओवाद का पूरा संचालन इसके ही हाथ में था। रोना विल्सन संसद हमले का अभियुक्त रहा प्रोफेसर गिलानी का भी निकट सहयोगी रहा है।

नागपुर विश्वविद्यालय की अंग्रेजी प्रोफेसर सोमा सेन
प्रोफ़ेसर सोमा सेन

सोमा सेन नागपुर विश्वविद्यालय में अँग्रेजी विषय की प्रोफेसर है। किंतु यह दलित एक्टिविज्म के लिए जानी जाती है। दलितों के नाम पर समाज में घृणा फैलाने के काम में सोमा सेन सतत सक्रिय रहती है।

सोमा सेन अपनी माओवादी गतिविधियों के कारण बहुत समय से  पुलिस की जासूसी संगठनों की दृष्टि में थी। इसकी गहन छानबीन लगातार चल रही थी। इसका पति तुषारकान्ति भटाचार्य  गुजरात पुलिस द्वारा 2010 के माओवादी घटनाओं में संलिप्तता के कारण गिरफ्तार किया गया था। आजकल जमानत पर बाहर है।

सोमा सेन अपने पति के पदचिन्हों पर चलते हुए माओवादी आंदोलन का हिस्सा बनी रही। शहरी माओवाद को पालती रही। बंगाल के नक्सलवाड़ी को बदनाम करती रही। सोमा सेन भीमा कोरेगांव की एलगार परिषद रैली में बहुत सक्रिय थी। उसके वहाँ सक्रिय रहने के अनेक प्रमाण मिले हैं पुलिस को। ये विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की भर्ती माओवाद में करती रही। निर्दोष बच्चों को देश के विरुद्ध भड़काती रही। इसकी गिरफ्तारी से यह अपराध रुकेगा यह अपेक्षा है।


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