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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी |
पीएम मोदी की विदेश यात्राओं का असर दिखने लगा है। तुष्टिकरण के लिए जिस इजराइल से दोस्ती करने में कांग्रेस ने कभी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, उस इजराइल के लिए पीएम मोदी ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया। जिसके चलते अब भारत और इजराइल के बीच दोस्ती का रंग दिखने लगा है। इजराइल ने पाकिस्तान और चीन को बड़ा झटका देते हुए भारत के पक्ष में बड़ा फैसला लिया है, जिसका पूरे एशिया में प्रभाव पडेगा।
चीन, पाकिस्तान को झटका देकर इजराइल आया भारत के साथ
भारतीय वायुसेना इतिहास में पहली बार इजराइली वायुसेना के साथ संयुक्त युद्ध अभ्यास करने जा रही है। आज गुरुवार (02-11-2017) से इजरायल में शुरू हो रहे “ब्लूफ्लैग-17” में भारतीय वायुसेना का 45 सदस्यों का दल हिस्सा लेगा। यहाँ सबसे ख़ास बात ये है कि इस संयुक्त युद्ध अभ्यास में भारत, इजरायल के अलावा अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी की सेनाएं शामिल होंगी।
ब्लूफ्लैग-17’ नाम के इस युद्धाभ्यास में पाकिस्तान और चीन भी शामिल होना चाहते थे, लेकिन उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी गई है। पाकिस्तान का इसमें शामिल होने का तो सवाल ही नहीं उठता, पता नहीं किस मुँह से पाकिस्तान ने इसके लिए इजाजत मांगी, क्योंकि पाकिस्तान तो इजराइल को एक देश के तौर पर मानता ही नहीं है। पाकिस्तान की इजराइल से ऐसी नफरत का ही नतीजा है कि इजरायल में पाकिस्तानियों के घुसने तक पर बैन है
चीन, पाकिस्तान हो चुके हैं बेनकाब
वहीँ डोकलाम मुद्दे और दक्षिण चीन सागर में कब्जे को लेकर चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों का पर्दाफ़ाश खुद ही कर चुका है। इसके चलते चीन को भी इसमें शामिल करने से इंकार कर दिया गया है। यानी पाकिस्तान और चीन दोनों को ही अलग-थलग कर दिया गया है।
इजरायली कमांडर ने उधमपुर में नार्दर्न कमांड हेडक्वार्टर का दौरा किया है। इस संयुक्त एरियल ड्रिल में भारतीय वायुसेना का सी-130जे स्पेशल ऑपरेशनल एयरक्रॉफ्ट गरुण कमांडो के साथ शामिल होगा। इजरायल के उवदा एयरफोर्स बेस में 2 नवंबर से 16 नवंबर तक यह युद्ध अभ्यास चलेगा। इसे इतिहास के सबसे बड़े और जटिल संयुक्त युद्ध अभ्यास में से एक बताया जा रहा है।
अमेरिका, रूस, फ़्रांस, ईरान, इजराइल सभी के साथ भारत के मजबूत सम्बन्ध
अंतर्राष्ट्रीय बदलावों को साफ़ तौर पर देखा जा सकता है। कांग्रेस सरकार ने रूस के साथ दोस्ती तो रखी लेकिन अमेरिका को नज़रअंदाज कर दिया, क्योंकि उन्हें डर था कि रूस नाराज हो जाएगा। इजराइल से दोस्ती नहीं की क्योंकि वोटबैंक चला जाएगा। ईरान के साथ सम्बन्ध मजबूत नहीं बनाये वरना अमेरिका नाराज हो जाएगा।
इसके ठीक उलट पीएम मोदी ने सारा खेल ही पलट दिया
भारत के ना केवल रूस के साथ सम्बन्ध और भी ज्यादा मजबूत कर दिए, बल्कि अमेरिका के साथ दोस्ती की शुरुआत भी कर दी। ईरान के साथ समझौते कर लिए और वो भी अमेरिका की रजामंदी से। इजराइल जोकि दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में से एक है, उसके साथ भी मजबूत दोस्ती कर ली।
इसी का परिणाम है कि चीन, पाकिस्तान की जगह आज इस इतिहास के सबसे बड़े और जटिल संयुक्त युद्ध अभ्यास में भारत को शामिल किया गया है। भारत के दुनिया में एक महाशक्ति के रूप उभरने की शुरुआत हो चुकी है।
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