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आचार्य चंद्रास्वामी व ओमान के सुल्तान काबूस बिन अल सैद |
इंडिया संवाद:
बताया जाता है कि डॉक्टरों की दवाईयों का जब कुछ असर नहीं हुआ तो किंग फैमली ने भारतीय संस्कृती के हिसाब से देवी देवताओं की पूजा कराने का मन बनाया।
बताया जाता है कि डॉक्टरों की दवाईयों का जब कुछ असर नहीं हुआ तो किंग फैमली ने भारतीय संस्कृती के हिसाब से देवी देवताओं की पूजा कराने का मन बनाया।
डॉक्टरों को अक्सर मरीज से आपने फिल्मों में कहते सुना होगा कि अब आपको दवा नहीं दुआ की जरूरत है। कैंसर जैसी बीमारी ने डॉक्टरों के फेमस डॉयलाग को रियल लाइफ में भी उतार दिया। अब अक्सर ऐसे पेसेंट जिन्हें लास्ट लेबल का कैंसर होता है उनसे डॉक्टर यही कहते हैं कि अब दवा नहीं दुआ की जरूरत है। डॉक्टों की ये बात तब सच साबित हो गई जब ओमान के किंग को कैंसर हुआ। बात दरअसल थोड़ी पुरानी है। साल था 2014 और केंसर के पेसेंट थे ओमान के किंग सुल्तान का़बूस बिन अल सैद। जब उन्हें पेट का कैंसर हुआ तो डॉक्टरों ने हाथ लगभग खड़े कर दिए। फिर किसी ने कहा अगर दवा काम नहीं कर रही है तो दुआ का सहारा लिया जाए।
फिर क्या था सुल्तान, का़बूस बिन अल सैद को बचाने के लिए दुवाओं का दौर चालू हुआ। अब इसे अरब देश के किंग का भारतीय संस्कृती पर विश्वास कहेंगे या कुछ और कि उन्हों ने अपने जीवन के सबसे मुश्किल वक्त में भारतीय संस्कृती को चुना और भारतीय पंडितों को अपने यहां बुलाकर हवन और पूजा अर्चना कराई। अब ये महज इत्तेफाक है या कुछ और ये तो हम नहीं कह सकते लेकिन भारतीय पुजारियों की पूजा के बाद किंग की तबियत ठीक हुई और वो अब बिल्कुल ठीक हैं। इसके साथ ही चंद्रशेखर स्वामी अरब देशों में देशों में यज्ञ करने वाले पहले भारतीय पंडित आचार्य बन गए हैं।
72 साल के किंग को जब कैंसर हुआ तो उनके इलाज के लिए जर्मन एक्सपर्ट डॉक्टरों की एक टीम दिन रात लग गई। बताया जाता है कि डॉक्टरों की दवाईयों का जब कुछ असर नहीं हुआ तो किंग फैमली ने भारतीय संस्कृती के हिसाब से देवी देवताओं की पूजा कराने का मन बनाया। इस काम के लिए कर्नाटक के मशहूर आचार्य चंद्रशेखर स्वामी से संपर्क साधा गया। चंद्रशेखर स्वानी ने पहले तो अपने शिष्यों के साथ मिलकर कर्नाटक के ही बड़े मंदिरों में किंग की सलामती के लिए पूजा अर्चना करनी सुरू की।
फिर क्या था सुल्तान, का़बूस बिन अल सैद को बचाने के लिए दुवाओं का दौर चालू हुआ। अब इसे अरब देश के किंग का भारतीय संस्कृती पर विश्वास कहेंगे या कुछ और कि उन्हों ने अपने जीवन के सबसे मुश्किल वक्त में भारतीय संस्कृती को चुना और भारतीय पंडितों को अपने यहां बुलाकर हवन और पूजा अर्चना कराई। अब ये महज इत्तेफाक है या कुछ और ये तो हम नहीं कह सकते लेकिन भारतीय पुजारियों की पूजा के बाद किंग की तबियत ठीक हुई और वो अब बिल्कुल ठीक हैं। इसके साथ ही चंद्रशेखर स्वामी अरब देशों में देशों में यज्ञ करने वाले पहले भारतीय पंडित आचार्य बन गए हैं।
72 साल के किंग को जब कैंसर हुआ तो उनके इलाज के लिए जर्मन एक्सपर्ट डॉक्टरों की एक टीम दिन रात लग गई। बताया जाता है कि डॉक्टरों की दवाईयों का जब कुछ असर नहीं हुआ तो किंग फैमली ने भारतीय संस्कृती के हिसाब से देवी देवताओं की पूजा कराने का मन बनाया। इस काम के लिए कर्नाटक के मशहूर आचार्य चंद्रशेखर स्वामी से संपर्क साधा गया। चंद्रशेखर स्वानी ने पहले तो अपने शिष्यों के साथ मिलकर कर्नाटक के ही बड़े मंदिरों में किंग की सलामती के लिए पूजा अर्चना करनी सुरू की।
जब कर्नाटक के मंदिरों में होने वाली पूजा का असर किंग फैमली को सुल्तान के स्वास्थ्य पर दिखने लगा तो उन्होंने आचार्य से प्रर्थना की कि वो अपने दल के साथ ओमान आएं और वहां सुल्तान की सलामती के लिए पूजा पाठ करें।
शाही परिवार के आग्रह पर स्वामी जी तैयार हुए। स्वामी जी के साथ उनके पूरे दल को विशेष विमान से अमान पहुंचाया गया। स्वामी जी अपने साथ पूजा का सारा सामान लेकर गए थे। बताया जाता है कि जिस दौरान वहां यज्ञ और हवन चल रहे थे उस दौरान सुल्तान का पूरा परिवार पूजा में मौजूद होता था। यही नहीं इस दौरान शाही परिवार ने अपने सारे कार्यक्रम टाल दिए थे।
शाही परिवार के आग्रह पर स्वामी जी तैयार हुए। स्वामी जी के साथ उनके पूरे दल को विशेष विमान से अमान पहुंचाया गया। स्वामी जी अपने साथ पूजा का सारा सामान लेकर गए थे। बताया जाता है कि जिस दौरान वहां यज्ञ और हवन चल रहे थे उस दौरान सुल्तान का पूरा परिवार पूजा में मौजूद होता था। यही नहीं इस दौरान शाही परिवार ने अपने सारे कार्यक्रम टाल दिए थे।
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