गोरखपुर में बच्चों की मौत: अखिलेश के ट्वीट पर जनता ने दिया मुंहतोड़ जबाब



इस साल जनवरी से लेकर सितंबर तक बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इन दो वार्डों में करीब 1718 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं पिछले तीन वर्षों में यह आंकड़ा 4359 (2016), 5236 (2015) और 4391 (2014) का रहा। आंकड़े बताते हैं कि अखिलेश राज में गोरखपुर में बच्चों की मौत का आंकड़ा कहीं ज्यादा था।

यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज से जुड़ी एक खबर की तस्वीर को ट्वीट करके अपनी ही पार्टी की उत्तर प्रदेश की पूर्व सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

अखिलेश ने टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर की एक तस्वीर को ट्वीट करते हुए लिखा, 'अगली बार विदेश से सिर्फ कलाकार नहीं, जापानी इंसेफेलाइटिस से बचने का उपाय भी ले आइयेगा, जिससे लोगों के घरों के चिराग भी हमेशा रोशन रहें।' लेकिन पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए किए गए इस ट्वीट के साथ अखिलेश ने जिस तस्वीर को ट्वीट किया है, उसमें बताए गए आंकड़े साफ बताते हैं कि अखिलेश राज में गोरखपुर में बच्चों की मौत की संख्या प्रदेश में योगी सरकार आने से पहले कहीं ज्यादा थी।

समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया में 23 अक्टूबर 2017 को प्रकाशित खबर के मुताबिक, गोरखपुर स्थित बाबा राघवदास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में पिछले चार दिनों में 68 बच्चों की मौत हुई है। इसी खबर में अखिलेश सरकार के दौरान गोरखपुर में हुई बच्चों की मौत के आंकड़े भी दिए गए हैं। आकड़ों के मुताबिक, इस साल अक्टूबर में अब तक 362 बच्चों की मौत हो चुकी है। 2016 में अक्टूबर महीने में 586 और 2015 में 662 बच्चों की मौत हुई थी।

इस साल जनवरी से लेकर सितंबर तक बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इन दो वार्डों में करीब 1718 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं पिछले तीन वर्षों में यह आंकड़ा 4359 (2016), 5236 (2015) और 4391 (2014) का रहा। आंकड़े बताते हैं कि अखिलेश राज में गोरखपुर में बच्चों की मौत का आंकड़ा कहीं ज्यादा था।

अखिलेश के ट्वीट के बाद कुछ ट्विटर यूजर्स ने अखिलेश को उसी खबर में दिए गए पुराने आंकड़े दिखाना शुरू कर दिया, तो कुछ ट्विटर यूजर्स उनसे सैफई महोत्सव के दौरान किये गए खर्च की याद दिलाने लगे।




अखिलेश के ट्वीट के बाद बीजेपी प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी ने भी ट्वीट कर अखिलेश पर जवाबी हमला किया। शलभ ने लिखा, 'आंकड़े एक बार ठीक से देखिए, सरकारी ख़र्चे पर सैफई में कलाकार किसने नचाए,ये दुनिया जानती है,ये पैसे दवाओं पर ख़र्च होते तो आज हालात ये ना होते।'




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