विश्व की नज़र में श्रीमद्भागवद गीता

विश्व की नज़र में श्रीमद्भागवद गीता


अल्बर्ट आइन्स्टाइन- 
"जब मैंने गीता पढ़ी और विचार किया कि कैसे ईश्वर ने इस ब्रह्माण्ड कि रचना की है, तो मुझे बाकी सब कुछ व्यर्थ प्रतीत हुआ।"

अल्बर्ट श्वाइत्जर -
"भागवतगीता का मानवता कि आत्मा पर गहन प्रभाव है, जो इसके कार्यों में झलकता है।"

अल्ड्स हक्सले -
"भगवत गीता ने सम्रद्ध आध्यात्मिक विकास का सबसे सुवयाव्स्थित बयान दिया है। यह आज तक के सबसे शाश्वत दर्शन का सबसे स्पष्ट और बोधगम्य सार है, इसलिए इसका मूल्य केवल भारत के लिएनही, वरन संपूर्ण मानवता के लिए है।"

हेनरी डी थोरो -
"हर सुबह मैं अपने ह्रदय और मस्तिष्क को भगवद गीता के उस अद्भुत और देवी दर्शन से स्नान कराता हूँ, जिसकी तुलना में हमारा आधुनिक विश्व और इसकासाहित्य बहुत छोटा और तुच्छ जान पड़ताहै।"

हर्मन हेस -
"भगवत गीता का अनूठापन जीवन के विवेक की उस सचमुच सुंदर अभिव्यक्ति में है, जिससे दर्शन प्रस्फुटित होकर धर्म में बदल जाता है।"

रौल्फ वाल्डो इमर्सन -
"मैं भागवत गीता का आभारी हूँ। मेरे लिए यह सभी पुस्तकों में प्रथम थी, जिसमे कुछ भी छोटा या अनुपयुक्त नहीं किंतु विशाल, शांत, सुसंगत, एक प्राचीनमेधा की आवाज जिसने एक - दूसरे युग और वातावरण में विचार किया था और इस प्रकार उन्हीं प्रश्नों को तय किया था, जो हमें उलझाते हैं।"

थॉमस मर्टन-
"गीता को विश्व की सबसे प्राचीन जीवित संस्कृति, भारत की महान धार्मिक सभ्यता के प्रमुख साहित्यिक प्रमाण के रूप में देखा जा सकता है।"

डा. गेद्दीज़ मैकग्रेगर -
"पाश्चात्य जगत में भारतीय साहित्य का कोई भी ग्रन्थ इतना अधिक उद्धरित नहींहोता जितना की भगवद गीता, क्योंकि यही सर्वाधिक प्रिय है ..."


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