अरविन्द केजरीवाल का भंडाफोड !



२२.०५.२१३ को एक अहम फैसले में दिल्ली के लोकायुक्त ने राष्ट्रपति से सिफारिश की है कि शीला दीक्षित को 11 करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया जाए. दरअसल शीला 'Aunty' (:) ) ने 2008 elections में ये रकम सरकारी खजाने से खर्च कर दी थी. .

दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष बिजेंद्र गुप्ता जी ने इसके खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत की थी और उसके बाद ये फैसला आया है.. जब मैंने खबर सुनी तो ये सोचा कि अगर ये शिकायत अरविन्द केजरीवाल ने की होती तो आज वो किस तरह से अपनी ब्रांडिंग में लग जाता.. Press Conference करता और अपनी उपलब्धि बताता.. सोशल मीडिया में उसके अंधभक्त उसको हीरो बनाने पे तुल जाते... तो मैंने decide किया कि आज इस कजरिया की ही पोल खोलती हूँ..  वैसे भी आपसे 2-3 दिन पहले वादा किया था कि इस तोपीबाज़ को अब
इसी की जुबां में जवाब देना पडेगा..

आप में से जो लोग नहीं जानते उनको मेरी पुरानी पोस्ट्स पढनी चाहिये जो मैंने अरविन्द केजरीवाल के बारे में लिखी हैं ..मैं कोई बात हवा में नहीं करती,मैं तथ्यपूर्ण बातों में विश्वास करती हूँ .

ये बन्दा अन्ना को अपने पिता का दर्जा देता था. भगत सिंह की मिसाल देकर अनशन पर बैठा, जब भीड़ नहीं जमा हुई तो स्वामी रामदेव के आगे हाथ जोड़े.. बाबा आये भीड़ लाये.. उसके बाद इसने अचानक राजनैतिक पार्टी बनाने का एलान कर दिया लेकिन कहता रहा कि अन्ना मेरे पिता के सामान हैं और अगर वो कह दें तो मैं अपनी पार्टी बनाने के प्लान से हाथ पीछे खीच लूंगा. फिर एक दिन अन्ना ने खुलेआम कह दिया कि मत बनाओ party.. तो फिर ये केजरीवाल बोला कि मैं तो बनाउंगा ..मतलब ये कि अन्ना के नाम का तो बहाना था, असल में तो राजनैतिक पार्टी इसको बनाना था ..जैसे ही पार्टी बनाई, स्वामी रामदेव इसको दुश्मन नज़र आने लगे और पहले जिनसे मदद पायी थी उनको इस अहसान फरामोश केजरीवाल ने Press Conference में भ्रष्ट बता दिया ..सिर्फ इसलिए क्यूंकि स्वामी जी ने इसकी पार्टी बनाने के एजेंडा का सपोर्ट नहीं किया था. मतलब जो इसके साथ नहीं वो भ्रष्ट हो गया और जो AAP join कर ले वो पाक-साफ़. अब सवाल ये उठता है कि जब इसने पार्टी बना ली तो ये हमसे या फिर मीडिया से ये अपेक्षा क्यूँ करता है कि इसको अभी भी एक सामाजिक आन्दोलनकारी की तरह treat किया जाए?? राजनीति की मलाई भी मारना चाहता है और इमेज अपनी social activist की रखना चाहता है.. वाह ...चलो कोई बात नहीं, इतनी पार्टियां हैं. ये और बन गयी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता . लेकिन प्रश्न उठता है कि किस तरह की राजनीति ये खुद कर रहा है?

दोस्तों, आप कभी भी देखना--ये किसी को भी अपशब्द, गाली देने में बिलकुल संकोच नहीं करता--''ये चोर है,वो चोर है,सब चोर हैं''---- कमाल है भगवान् ने सिर्फ तुझे ही ईमानदार बना के भेजा है ? आप कभी भी नोटिस करना, ये केजरीवाल बहुत बड़ी मात्रा में पैसा खर्च कर रहा है सोशल मीडिया मे.. 'One-India' जैसे टॉप न्यूज़ पोर्टल और फेसबुक पर भी इसकी पार्टी के sponsored ads चलते हैं.. AAP या AAP supporters के
किसी भी फेसबुक या ट्विटर अकाउंट पर जा के आप देखिये, खान्ग्रेस के खिलाफ मात्र 20% material होगा, 80% BJP के खिलाफ होगा. ''आज-तक'' आदि के फेसबुक की पोस्ट्स पर चाहे मुद्दा चीन का हो या फिर IPL का, ये केजरीवाल के समर्थक मोदी या बीजेपी के खिलाफ कॉपी-पेस्ट करके कमेंट्स डालते रहते हैं. ये लोग ये नहीं बता पाते कि व्यक्ति- केन्द्रित विरोध और वो भी खान्ग्रेस की जगह बीजेपी के नेता का, इसका क्या कारण है??

दोस्तों, ये केजरीवाल Income Tax dept में commissioner था. अगर ये सच में इतना ईमानदार और एक social activist था तो क्यूँ नहीं इसने किसी भ्रष्ट नेता के यहाँ छापा मारा ? क्या इसके track record में है कोई बड़ी Raid जो इसने तथाकथित 'चोर' नेताओं के घर पर मारी हो ? सिस्टम में इतने बड़े पद पर रहकर जब ये कुछ नहीं कर पाया तो हम इसे क्या नाम दें ?? याद है T.N.शेषन? किस तरह से उन्होंने सारे देश की चुनावी प्रणाली का कायाकल्प कर डाला. याद हैं खेरनार साहब जिन्होंने महाराष्ट्र में बिना किसी पार्टीवाद के सरकारों की नाम में दम कर दिया,उसके बाद उन्हें suspend किया गया लेकिन क्यूंकि वो सच्चाई के मार्ग पे थे,कोर्ट ने न सिर्फ उन्हें दोबारा उनकी जॉब दिलाई बल्कि job-एक्सटेंशन भी दिया. लेकिन केजरीवाल ने सिस्टम में रहकर सिस्टम को सुधारने के लिए कुछ नहीं किया.. और अब कह रहा है कि मुझे PM बनवा दो तो मैं देश में सब कुछ सुधार दूंगा. अरे भाई, कैसे सुधार दोगे ?? बाकी पार्टियां तो सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार करती हैं लेकिन AAP ने तो ढंग से चुनाव चिन्ह हासिल करने से पहले ही असली रंग दिखा दिए. इनकी पार्टी के Top leaders मयंक गांधी, अंजलि दमानिया, प्रशांत भूषण सब पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप हैं. 

एक कहता है कि कश्मीर को भारत से आज़ाद कर देना चाहिए ..दूसरा कहता है कि खान्ग्रेस द्वारा बनाया गया 'साम्प्रदायकता निवारण क़ानून' ((जो पूरी तरह से Anti-हिन्दू है और जिसके अनुसार अगर कहीं दंगे होते हैं तो Majority कम्युनिटी यानि कि हिन्दुओ को पकड़ा जाएगा )) उसको इनकी पार्टी की टॉप लीडर शाजिया इल्मी खुला सपोर्ट कर चुकी है ..देश के जाने माने naxalite leaders को ये अपने टीम में अहम् स्थान देते हैं, इनका एक नेता कहता है 'पाकिस्तान जिंदाबाद' और फिर उसको फेसबुक पर ढेरों गालियाँ मिलती हैं, दिल्ली में मुल्लों द्वारा सुभाष पार्क में बनाई गयी अवैध मस्जिद पर ये चुप लगा जाते हैं.. अन्ना के मंच से खुद केजरीवाल मुल्लो को खुश करने के लिए 'भारत माता' की तस्वीर हटवा देता है, 'वन्दे मातरम' के नारे बंद करवा देता है. अब दोस्तों, आप ये सोचिये कि जब इनके सारे कर्म मुलायम,ममता और खान्ग्रेस जैसे मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले नेताओं और पार्टियों की तरह हैं तो फिर AAP वाले कैसे अपेक्षा करते हैं कि हम इन्हें 'special treatment' दें ?? और ज़रा कल्पना कीजिये कि ये 'Gang' क्या करेगा यदि govt में आ जाए तो?? 

सच ये है कि ये केजरीवाल अखबारों और अन्य sources से पुराने घिसे पिटे मुद्दे ला कर मीडिया में उसको '''खुलासे''' की तरह पेश कर देता है. इसने दावा किया कि दिल्लीवासियों से इतिहास में पहली बार AAP ने बिजली के बढे हुए मूल्य पर signature किये हुए papers लिए... बस कर दिया ड्रामा एक बार फिर ?? सच ये है कि Delhi- बीजेपी तो कहीं पहले करीब 20 लाख लोगों से ऐसे ही signatures ले चुकी है,सारे के सारे लोगों के फ़ोन नंबर्स के proof के साथ. और फिर उन पेपर्स को President प्रतिभा पाटिल को दे के आये..कोई फायदा हुआ ? नहीं. पर केजरीवाल को हुआ फायदा.
वो ये कि मीडिया में इसने ऐसा जताने की कोशिश की कि AAP ने कोई एतिहासिक काम किया है . दोस्तों, शीला दिक्षित ने दिल्ली बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं के खिलाफ मानहानि के केस कर रखे हैं. और वो cases शीला दिक्षित बड़ी seriously लड़ रही है. 10 दिन पहले ही शीला खुद कोर्ट गयी थी बिजेंद्र गुप्ता के खिलाफ मानहानि केस में ...अब आप लोग ज़रा खुद सोचिये, जब बीजेपी के नेता शीला की पोल खोलते थे तो उन पर
लाठियां भी पड़ती हैं और उनको कोर्ट में भी घसीटा जाता है , लेकिन जब ये केजरीवाल 1 साल से शीला के खिलाफ ड्रामा कर रहा है तो न इसके खिलाफ कोई court case और न कोई एक्शन....क्यूँ ?

एक और बात. आपको याद है अशोक खेमका जी जिन्होंने रोबर्ट वाड्रा के illegal land case की जांच की थी? ..खेमका जी को अपने 20 साल के career में 43 बार transfer किया जा चुका है पर फिर भी ये देशभक्त ईमानदार व्यक्ति लड़े जा रहा है सिस्टम से---सिस्टम में रहकर. ..अब ज़रा केजरीवाल के रिकॉर्ड पर नज़र
डालिए ..जब ये कमिश्नर थे इनकम टैक्स विभाग में तो इनका कभी भी दिल्ली से बाहर transfer नहीं हुआ और उस से भी बड़ी आश्चर्य की बात ये है  कि केजरीवाल की wife जो खुद भी IT dept में commissioner है, उसका 18 साल में एक बार भी दिल्ली से बाहर transfer नही हुआ....अब ज़रा सोचिये, सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग में माहिर खान्ग्रेस क्यूँ मेहरबान है इन पर ??

बाबा रामदेव ने जैसे ही काले-धन का मुद्दा उठाया, CBI,ED, IT सब के सब उनके पीछे लगा दिए खान्ग्रेस ने , पर केजरीवाल के लिए न सीबीआई, न ED और न IT .... क्यूँ ?

उधर दूसरी तरफ केजरीवाल खान्ग्रेस के खिलाफ कम और बीजेपी के खिलाफ अपनी असली लड़ाई लड़
रहा है.. मैंने 2 दिन पहले ही फोटो डाली थी कि किस तरह इसके supporters 1984 के सिख विरोधी दंगों के लिए मोदी जी को जिम्मेद्दार ठहरा रहे हैं ..आखिर किस तरह की राजनीति है ये ??

ऐसी घटिया और दलालों वाली राजनीति तो मुलायम, मायावती पहले से कर रहे हैं, ये केजरीवाल तो उनका भी बाप निकला .. मुझे तो तरसा आता है

उन 18-20 साल के students पर जिनको इसने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के नाम पर ऐसा फंसा रखा है कि हम चाहे कितने भी सबूत दे दें केजरीवाल के खिलाफ, ये लोग उल्टा हमें ही गालिया देने लगते हैं . ..ये सब के सब कजरिया के साथ रहकर ''ढक्कन'' बन कर रह गए हैं.

स्रोत: http://goo.gl/3ogaM
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