यह गीत एक तेरह वर्षीय साध्वी द्वारा हम हिंदूओं को प्रोत्साहित करती हुई धर्म सम्मेलन में हिन्दुओ को जागृत करते हुए कही थी !
हम डरते नहीं किसी अणु-बमों से, विस्फोटों और तोपों से !
हम डरते है ताशकंद और शिमला जैसे समझौतों से !!
सियार-भेडियों से डर सकती सिहों की औलाद नहीं !
भरतवंश के इस पानी की है तुमको पहचान नहीं !!
एटम बम बनाकर के तुम किस्मत पर फूल गए !
65-71 और 99 के युद्धों को शायद तुम भूल गए !!
पाकिस्तान ! ....... तू चिंता मत कर !
इस बार तुम्हारे चेहरे का खोल बदल देंगे !!
इतिहास की क्या हस्ती है, पूरा भूगोल तक बदल देंगे !
रावलपिंडी से कराची तक सब कुछ गारत हो जायेगा !!
सिंधु नदी के आर-पार पूरा भारत हो जायेगा !
धारा हर मोड़ बदल कर लाहौर से गुजरेगी गंगा !!
इस्लामाबाद की धरती पर लहराएगा भारत का झंडा !!
फिर सदियों-सदियों तक जिन्ना जैसा शैतान नहीं होगा !
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा !!
तुम याद करो अब्दुल हमीद ने पैटर्न टैंक जला डाला !
हिन्दुस्तानी नेटो ने अमरीकी जेट जला डाला !!
तुम याद करो नब्बे हजार उन बंदी पाक जवानों को !
तुम याद करो शिमला समझौता इंदिरा के एहसानों को !!
पाकिस्तान ये कान खोलकर सुन ले !
अबकी जंग छिड़ी तो यह सुन ले !!
नाम निशान नहीं होगा !
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा !!
लाल कर दिया लहू से तुमने श्रीनगर की घाटी को !
तुम किस गफलत में छेड़ रहे सोई हल्दी घाटी को !!
जहर पिलाकर मजहब का !
इन कश्मीरी परवानों को !!
भय और लालच दिखलाकर तुम भेज रहे नादानों को !
खुले प्रशिक्षण, खुले शस्त्र है खुली हुई शैतानी है !!
सारी दुनिया जान चुकी ये हरकत पाकिस्तानी है !!
बहुत हो चुकी मक्कारी, बस बहुत हो चुका हस्तक्षेप !
समझा ले अपने इस नेता को वरना भभक पड़ेगा पूरा देश !!
क्या होगा अंजाम तुम्हे अब इसका अनुमान नहीं होगा !
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा !!