दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव के दौरान 'झूठे वादे' करके जनता को गुमराह करने के आरोप में दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि सीबीआई को केजरीवाल के खिलाफ केस रजिस्टर करने के निर्देश दिए जाएं, क्योंकि उन्होंने घोषणापत्र में किए वादे पूरे नहीं किए। इसमें बिजली, पानी को लेकर अधूरी घोषणाओं और जन लोकपाल पास न कराने को जनता से धोखेबाजी बताया गया है।
ऐडवोकेट एम.एल. शर्मा की तरफ से दिल्ली के मुख्यमंत्री, एजुकेशन मिनिस्टर मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के खिलाफ दाखिल कई गई इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि सत्ता में आकर फायदा उठाने के मकसद से आम आदमी पार्टी ने अपने मेनिफेस्टों में झूठे वादे किए और जनता को गुमराह किया। याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक लाभ के लिए झूठे वादे करके मुख्यमंत्री कार्यालय का दुरुपयोग किया गया है और इस करप्शन की तरफ कोर्ट को ध्यान देना चाहिए।
याचिका में कहा गया है, '29 दिसंबर 2013 को सरकार, केजरीवाल, सिसोदिया और आम आदमी पार्टी ने ऐलान किया कि 3 महीने तक 700 लीटर पानी पर कोई बिल नहीं लगेगा, लेकिन अगर 1 लीटर भी ज्यादा खर्च हो गया तो लोगों को पूरा चार्ज देना होगा। लेकिन बहुत कम लोग हैं, जिनके घर में मीटर लगा है। साथ ही इस फैसले से राज्य के खजाने पर हर महीने 163 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ भी पड़ेगा।'
इसमें आम आदमी पार्टी के उस वादे पर भी सवाल उठाया है, जिसमें 1 जनवरी से बिजली के दाम 50 करने की बात कही गई थी। याचिका में कहा गया है कि यह क्रिमिनल ऐक्ट है और इसके लिए आम आदमी पार्टी और इसके सदस्यों की जिम्मेदारी बनती है। यह भी कहा गया है कि मेनिफेस्टो में 29 दिसंबर को जन लोकपाल पास कराने का वादा किया था, लेकिन सरकार इसमें भी नाकाम रही।
याचिका में कोर्ट से यह तय करने के लिए कहा गया है कि चुनाव घोषणा पत्र में झूठे वादे करके जनता को गुमराह करना और उनके भरोसे तोड़ना अपराध है या नहीं। इस केस पर जस्टिस एन.वी. वर्मा के कोर्ट में 8 जनवरी को सुनवाई होगी।